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दीपावली पर्व हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। पञ्च दिवसीय दीवाली उत्सव में विभिन्न देवी-देवताओं की आराधना की जाती है। धनत्रयोदशी, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा एवं भैया दूज पर्व भी इस पञ्च दिवसीय दीपावली महोत्सव का अङ्ग हैं।
दीवाली एक पञ्चदिवसीय उत्सव है, जो धनतेरस से आरम्भ होकर भैया दूज पर समाप्त होता है। दीवाली पूजा कैलेण्डर इस पृष्ठ पर दिया गया है, जिसके माध्यम से आप दीवाली उत्सव के दौरान आने वाले प्रत्येक दिन के अनुष्ठानों एवं उनके मुहूर्त के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इस पृष्ठ पर दीवाली पूजा के लिये यन्त्र वॉलपेपर दिया गया है, जिसे प्रिन्ट किया जा सकता है। दीवाली पर श्री लक्ष्मी-गणेश यन्त्र की पूजा करने से धन-समृद्धि एवं सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है।
धनतेरस, पञ्च दिवसीय दीवाली उत्सव का प्रथम दिवस है, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी एवं भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त इस पृष्ठ पर दिया गया है।
दीवाली के दौरान लक्ष्मी पूजा के 16 चरण इस पृष्ठ पर दिये गये हैं। दीवाली के विशेष अवसर पर देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करने से देवी माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
दीवाली के दौरान कुबेर पूजा की विधि इस पृष्ठ पर दी गयी है। कुबेर देव संसार की समस्त धन-सम्पत्ति के रक्षक हैं तथा सुख-समृद्धि की कामना से धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी के साथ कुबेर देव की भी पूजा अर्चना की जाती है।
इस लेख में विस्तृत दीपावली पूजा विधि दी गयी है। दीपावली के अवसर पर देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती तथा भगवान गणेश सहित अन्य देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
दीपावली का ग्रीटिंग्स कार्ड्स द्वारा अभिनन्दन करने हेतु इस पृष्ठ पर सचित्र निःशुल्क ई-ग्रीटिंग दिये गये हैं। उपयोगकर्ता इन्हें सहेजकर अपने प्रियजनों को दीवाली के प्रेमपूर्ण सन्देश भेज सकते हैं।
इस पृष्ठ पर दीपावली के लिये सुन्दर रंगोली कलाकृतियाँ चरणबद्ध रूप से चित्र सहित दी गयी हैं, जिनके द्वारा सुन्दर दीवाली रंगोली सरलता से बनायी जा सकती है। दीवाली पर देवी लक्ष्मी के स्वागत में रंगोली बनायी जाती है।
लक्ष्मी पूजन में उपयोग होने वाली पूजा सामग्री इस पृष्ठ पर सूचीबद्ध की गयी है। मुरा, जटामासी, बच, कुष्ठ तथा शैलेय आदि जड़ी बूटियों सहित लक्ष्मी पूजन में प्रयोग होने वाली समस्त वस्तुओं का वर्णन इस लेख में किया गया है।
श्री लक्ष्मी-गणेश के पूर्ण आकार के चित्र इस पृष्ठ पर प्रदान किये गये हैं। दीवाली के पावन अवसर पर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश एवं देवी सरस्वती की आराधना की जाती है, जिसके लिये द्रिक पञ्चाङ्ग द्वारा सुन्दर चित्र प्रस्तुत हैं।
दीवाली पूजा के मन्त्रों का संग्रह इस पृष्ठ पर दिया गया है, जिसमें लक्ष्मी विनायक मन्त्र, लक्ष्मी गणेश ध्यान मन्त्र तथा ऋणहर्ता गणपति मन्त्र भी सम्मिलित है। इन मन्त्रों द्वारा पूजन करने से देवी लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
सूर्य ग्रहण होने पर दीवाली पूजा कैसे करें? दीवाली सूर्य ग्रहण एक ऐसा संयोग है, जो कभी भी घटित हो सकता है। क्योंकि दीवाली भी अमावस्या तिथि पर मनायी जाती है तथा सूर्य ग्रहण भी सदैव अमावस्या तिथि पर ही होता है।
दीवाली समाधान प्राचीन काल से ही लोकप्रिय रहे हैं। दीवाली एक विशेष उत्सव होता है, जिस समय विभिन्न प्रकार के समाधान करने से अप्रत्याशित लाभ प्राप्त होता है। सामान्यतः इन्हें टोटके भी कहा जाता है।
पञ्च दिवसीय दीवाली उत्सव के दौरान लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। लक्ष्मी पूजा, पञ्च दिवसीय उत्सव का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन है। अपने शहर के लिये, प्रदोष काल एवं वृषभ काल सहित लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त ज्ञात करने हेतु सम्पूर्ण विवरण देखें।
1. ॐ प्रकृत्यै नमः। 2. ॐ विकृत्यै नमः। 3. ॐ विद्यायै नमः। ... 107. ॐ त्रिकालज्ञानसंपन्नायै नमः। 108. ॐ भुवनेश्वर्यै नमः। आदि लक्ष्मीजी के 108 नाम अर्थ एवं वीडियो सहित इस पृष्ठ पर दिये गये हैं।
1. ॐ नित्यागतायै नमः। 2. ॐ अनन्तनित्यायै नमः। 3. ॐ नन्दिन्यै नमः। ... 999. ॐ देवतानां देवतायै नमः। 1000. ॐ उत्तमानामुत्तमायै नमः। आदि नामों से युक्त देवी लक्ष्मी की सहस्रनामावली अर्थ सहित इस पृष्ठ पर दी गयी है।
ॐ जय लक्ष्मी माता आरती शब्दों के साथ इस पृष्ठ पर दी गयी है। यह आरती अत्यन्त प्रचलित है तथा देवी लक्ष्मी से सम्बन्धित विभिन्न उत्सवों पर ॐ जय लक्ष्मी माता आरती का गायन किया जाता है।
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ लक्ष्मी माता की यह 40 छन्द की प्रार्थना, जिसे चालीसा कहा जाता है, इस पृष्ठ पर दी गयी है।
हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥1॥ यह श्री महालक्ष्मी सूक्तम् है, जिसे श्री सूक्तम् के नाम से भी जाना जाता है। इसका नियमित पाठ करने से श्री लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ जैसे दिव्य मन्त्रों से युक्त देवी महालक्ष्मी के मन्त्र की सारणी इस पृष्ठ पर दी गयी है। इस सारणी में लक्ष्मी बीज मन्त्र, महालक्ष्मी मन्त्र तथा लक्ष्मी गायत्री मन्त्र को भी सूचीबद्ध किया गया है।
दीपावली के लिये सुन्दर लक्ष्मी पद रँगोली कलाकृति चित्र सहित इस पृष्ठ पर प्रदान की गयी हैं। इन कलाकृतियों की सहायता से देवी लक्ष्मी के अत्यन्त सुन्दर चरण कमलों की रँगोली सरलता से बनायी जा सकती है।
दीपावली के लिये सुन्दर लक्ष्मी हृदय रँगोली कलाकृति चित्र सहित इस पृष्ठ पर दी गयी हैं। इन चित्रों की सहायता से देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता हेतु अनेक प्रकार की रँगोली बनायी जा सकती हैं।