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कुम्भ मेला विवरण

DeepakDeepak

कुम्भ मेला

कुम्भ मेला

हाल ही में आयोजित कुम्भ मेला

कुम्भ मेला के विषय में

कुम्भ मेला, विश्व का विशाल धार्मिक जनसमूह है। इस धर्म जनसमूह में स्त्री, पुरुष सहित सभी वर्ग के लोग एकत्रित हो कर धर्म कर्म आदि करते हैं। इस त्यौहार के समय, लाखों लोग पवित्र स्नान करने हेतु एकत्रित होते हैं। यह स्नान विशेषतः कुछ शुभ तिथियों पर आयोजित किया जाता है। यह स्नान उस नदी के पवित्र जल में किया जाता है, जिसके तट पर यह मेला आयोजित किया जाता है। पवित्र स्नान करने के अतिरिक्त भक्तगण, हिमालय सहित भारत के अन्य भागों से मेले में आने वाले साधुओं के दर्शन करने के लिये भी एकत्रित होते हैं।

कुम्भ मेले का आयोजन निर्धारित क्रमानुसार चार भिन्न-भिन्न स्थानों पर किया जाता है। यह विशाल मेला लगभग एक माह तक चलता है। हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार, विभिन्न सौर उत्सवों का निर्धारण करने हेतु राशिचक्र में सूर्य की स्थिति का अवलोकन किया जाता है। किन्तु यह भव्य मेला एक ऐसा पर्व है, जिसका समय एवं स्थान निर्धारित करने हेतु राशि चक्र में सूर्य की स्थिति के साथ ही बृहस्पति ग्रह की स्थिति पर भी विचार किया जाता है। कुम्भ मेले के आयोजन के नियम निम्नलिखित तालिका में विस्तृत हैं।

क्रमांक
मेला आयोजन स्थल
राशि विभाजन में बृहस्पति एवं सूर्य की स्थिति
मेला आरम्भ की अनुमानित दिन
कुम्भ मेला का प्रकार
1
हरिद्वार
बृहस्पति के कुम्भ राशि में स्थित होने पर सूर्य का मेष राशि में प्रवेश
अप्रैल के मध्य में
गङ्गा के तट पर पूर्ण कुम्भ
2
प्रयागराज (इलाहाबाद)
बृहस्पति के वृषभ राशि में स्थित होने पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश
जनवरी के मध्य में
गङ्गा के तट पर पूर्ण कुम्भ
3
प्रयागराज (इलाहाबाद)
बृहस्पति के वृश्चिक राशि में स्थित होने पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश
जनवरी के मध्य में
गङ्गा के तट पर अर्ध कुम्भ
4
उज्जैन
बृहस्पति के सिंह राशि में स्थित होने पर सूर्य का मेष राशि में प्रवेश
अप्रैल के मध्य में
क्षिप्रा नदी के तट पर कुम्भ
5
नासिक
बृहस्पति के सिंह राशि में स्थित होने पर सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश
जुलाई के मध्य में
गोदावरी नदी के तट पर सिंहस्थ कुम्भ
6
*हरिद्वार
बृहस्पति के सिंह राशि में स्थित होने पर सूर्य का मेष राशि में प्रवेश
अप्रैल के मध्य में
गङ्गा के तट पर अर्ध कुम्भ

*जिस समय उज्जैन में कुम्भ मेला आयोजित होता है, उसी समय हरिद्वार में भी अर्ध कुम्भ योग घटित होता है, किन्तु अन्य कुम्भों की तुलना में इस कुम्भ में श्रद्धालुओं की सहभागिता कम रहती है। एक ही समय पर हरिद्वार एवं उज्जैन में कुम्भ मेला होने तथा नासिक में कुछ माह उपरान्त होने वाले कुम्भ आयोजन के कारण हरिद्वार कुम्भ में अपेक्षाकृत कम जनसमूह सम्मिलित होता है।

इसीलिये उपरोक्त तालिका को सङ्क्षेप में प्रस्तुत किया गया है

  • कुम्भ मेला - चारों स्थानों पर प्रति 3 वर्ष में आयोजित होता है।
  • अर्ध कुम्भ मेला - हरिद्वार एवं प्रयागराज में प्रति 6 वर्ष में आयोजित होता है।
  • पूर्ण कुम्भ मेला - केवल प्रयागराज में प्रति 12 वर्ष में आयोजित होता है।
  • महाकुम्भ मेला - केवल प्रयागराज में प्रति 144 वर्ष में आयोजित होता है।

कुम्भ मेले में स्नान के सभी शुभ दिनों को सामान्यतः पूर्णिमा एवं अमावस्या आदि चन्द्र तिथियों के आधार पर ही निर्धारित किया जाता है, किन्तु हरिद्वार कुम्भ में मेष संक्रान्ति एवं वैसाखी पर होने वाले स्नान की तिथि, सौर कैलेण्डर के आधार पर निर्धारित की जाती है।

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