*द्रिकपञ्चाङ्ग अपने उपयोगकर्ताओं के लिए निःशुल्क रंगोली रचनायें प्रदान करता है। उपयोगकर्ता इन्हें सहेज सकते हैं और अपने प्रियजनों को भेज सकते हैं। ये रंगोली रचनायें कॉपीराइट के तहत संरक्षित हैं। इनका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मध्यरात्रि में भगवान शिव, लिङ्ग के रूप में प्रकट हुये थे। महाशिवरात्रि के अवसर पर रात्रि के चारों प्रहर में भगवान शिव का पूजन किया जाता है। प्रस्तुत लेख में महाशिवरात्रि हेतु निशिता काल मुहूर्त दिया गया है।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ भगवान शिव की आरती वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है। उक्त आरती भगवान शिव को समर्पित अत्यन्त लोकप्रिय आरती है।
शाक्त प्रमोद ग्रन्थ में वर्णित 108 शिव नाम भगवान शिव के सबसे लोकप्रिय 108 नाम हैं। प्रत्येक नाम को ओम नमः के साथ जोड़ने पर वह अपने आप में स्वतन्त्र मन्त्र बन जाता है और इसका उपयोग जप के साथ-साथ शिव अष्टोत्तर शतनामावली हवन के लिये भी किया जा सकता है।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ भगवान शिव की चालीसा वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है। भगवान शिव के भक्त इस चालीसा का पाठ शिव जी को प्रसन्न करने एवं उनकी कृपा प्राप्ति हेतु करते हैं।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ भगवान शिव की आरती वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है। उक्त आरती भगवान शिव को समर्पित अत्यन्त लोकप्रिय आरती है।
सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी। अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥ हर हर हर महादेव! श्री महादेव आरती वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है। यह आरती भगवान शिव के महादेव स्वरूप को समर्पित अत्यन्त प्रचलित आरती है।
सङ्कल्प, ध्यान, आवाहन, आसन, अर्घ्य आदि पूजन के सभी मुख्य चरणों से युक्त शिवरात्रि षोडशोपचार पूजा विधि मन्त्र सहित प्रदान की गयी है। इस विधि की सहायता से आप विधिपूर्वक पूजन करके महा शिवरात्रि के अवसर का पूर्ण लाभ ले सकते हैं।
शिव मुख लिङ्गम, स्वयम्भू शिवलिङ्ग अभिषेक, कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान शिव तथा शिवजी के भाँग छानते हुये चित्रों से युक्त महा शिवरात्रि के ग्रीटिंग कार्ड्स निःशुल्क प्रदान किये गये हैं। इन सुन्दर चित्रों के द्वारा अपने प्रियजनों को महा शिवरात्रि की शुभकामनायें दे सकते हैं।
वर्ष पर्यन्त आने वाली सभी मासिक शिवरात्रि सूचिबद्ध की गयी हैं। हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव के भक्त इस अवसर पर एक दिवसीय व्रत का पालन करते हैं।
श्रावण मास में पड़ने वाले सभी सोमवार भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिये, उपवास के लिये अत्यधिक शुभ माने जाते हैं और इन्हें श्रावण सोमवार के नाम से जाना जाता है। अधिकांश राज्य, क्षेत्रीय कैलेण्डर का पालन करते हैं, जिसके कारण सावन सोमवार के दिनों में 2 सप्ताह का अन्तर हो सकता है।
उत्तर भारत में, श्रावण के पवित्र महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में हिन्दी क्षेत्र को छोड़कर, शेष भारत में श्रावण सावन शिवरात्रि के एक या दो दिन पश्चात् आरम्भ होता है।
प्रदोष व्रत, जिसे दक्षिण भारत में प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु किया जाता है। यह व्रत हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार, चन्द्र मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। वर्ष पर्यन्त आने वाले प्रदोष व्रत के दिनों को यहाँ सूचिबद्ध किया गया है।
भगवान शिव का मूल मन्त्र ॐ नमः शिवाय भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली मन्त्र है। ॐ त्रयम्बकं, भगवान शिव का मृत्यु को हराने वाला मन्त्र है। ॐ तत्पुरुषाय, भगवान शिव का रुद्र गायत्री मन्त्र है। ये सभी भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिये कुछ शक्तिशाली मन्त्र हैं।
भगवान शिव को समर्पित विस्तृत षोडशोपचार शिव पूजा विधि प्रदान की गयी है। प्रस्तुत पूजा विधि में ध्यान, आवाहन, पाद्य, अर्घ्य तथा आचमनीय सहित षोडशोपचार पूजा विधि के सभी सोलह चरण मन्त्र सहित वर्णित किये गये हैं।
शिवहरे शिवराम सखे प्रभो, त्रिविधताप-निवारण हे विभो। अज जनेश्वर यादव पाहि मां, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥1॥ उपरोक्त शिव रामाष्टकम वीडियो एवं संस्कृत बोल सहित प्रदान किया गया है। यह भगवान शिव को समर्पित अत्यन्त मधुर एवं प्रभावशाली अष्टकम् है।
शिवो महेश्वरः शम्भुः पिनाकी शशिशेखरः। वामदेवो विरूपाक्षः कपर्दी नीललोहितः॥1॥ श्री शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् वीडियो एवं संस्कृत बोल सहित प्रदान किया गया है। शिव भक्तों के मध्य इस स्तोत्रम् का पाठ अत्यन्त शुभ एवं मङ्गलकारी माना जाता है।