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2025 मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दिन लँकेस्टर, California, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak

2025 कृष्ण जन्माष्टमी के दिन

अष्टमी
14 दिन शेष
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
पौष, कृष्ण अष्टमी
लँकेस्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका
11
दिसम्बर 2025
बृहस्पतिवार
2025 मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दिन
[2081 - 2082] विक्रम सम्वत
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
जनवरी 21, 2025, मंगलवार
अष्टमी
00 घण्टे 55 मिनट्स
माघ, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 11:09 पी एम, जनवरी 20
समाप्त - 01:48 ए एम, जनवरी 22
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
फरवरी 19, 2025, बुधवार
अष्टमी
00 घण्टे 51 मिनट्स
फाल्गुन, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 08:28 पी एम, फरवरी 19
समाप्त - 10:27 पी एम, फरवरी 20
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
मार्च 21, 2025, शुक्रवार
अष्टमी
00 घण्टे 47 मिनट्स
चैत्र, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 03:53 पी एम, मार्च 21
समाप्त - 04:53 पी एम, मार्च 22
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
अप्रैल 20, 2025, रविवार
अष्टमी
00 घण्टे 43 मिनट्स
वैशाख, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 06:30 ए एम, अप्रैल 20
समाप्त - 06:28 ए एम, अप्रैल 21
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
मई 19, 2025, सोमवार
अष्टमी
00 घण्टे 40 मिनट्स
ज्येष्ठ, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 05:21 पी एम, मई 19
समाप्त - 04:25 पी एम, मई 20
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
जून 18, 2025, बुधवार
अष्टमी
00 घण्टे 38 मिनट्स
आषाढ़, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 01:04 ए एम, जून 18
समाप्त - 11:25 पी एम, जून 18
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
जुलाई 17, 2025, बृहस्पतिवार
अष्टमी
00 घण्टे 39 मिनट्स
श्रावण, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 06:38 ए एम, जुलाई 17
समाप्त - 04:31 ए एम, जुलाई 18
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
अगस्त 15, 2025, शुक्रवार
अष्टमी
00 घण्टे 42 मिनट्स
भाद्रपद, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 11:19 ए एम, अगस्त 15
समाप्त - 09:04 ए एम, अगस्त 16
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
सितम्बर 13, 2025, शनिवार
अष्टमी
00 घण्टे 46 मिनट्स
आश्विन, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 04:34 पी एम, सितम्बर 13
समाप्त - 02:36 पी एम, सितम्बर 14
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
अक्टूबर 12, 2025, रविवार
अष्टमी
00 घण्टे 50 मिनट्स
कार्तिक, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 11:54 पी एम, अक्टूबर 12
समाप्त - 10:39 पी एम, अक्टूबर 13
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
नवम्बर 11, 2025, मंगलवार
अष्टमी
00 घण्टे 54 मिनट्स
मार्गशीर्ष, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 09:38 ए एम, नवम्बर 11
समाप्त - 09:28 ए एम, नवम्बर 12
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
दिसम्बर 11, 2025, बृहस्पतिवार
अष्टमी
00 घण्टे 57 मिनट्स
पौष, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ - 12:26 ए एम, दिसम्बर 11
समाप्त - 01:26 ए एम, दिसम्बर 12

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में लँकेस्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

2025 कृष्ण जन्माष्टमी

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के मध्य एक अत्यन्त लोकप्रिय व्रत है, जो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने एवं उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु किया जाता है। यह व्रत मुख्यतः वैष्णव सम्प्रदाय के भक्तों द्वारा किया जाता है, किन्तु सामान्य श्रद्धालु भी जीवन में आत्मिक उन्नति एवं भगवत्कृपा की प्राप्ति हेतु इस व्रत का पालन करते हैं।

यह व्रत भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को किये जाने वाले वार्षिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत से भिन्न है, क्योंकि मासिक कृष्ण जन्माष्टमी प्रत्येक मास में आती है। इस व्रत का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के स्मरण एवं सेवा में स्थित रहना है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी को मासिक कृष्णाष्टमी अथवा मासिक जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

मासिक कृष्णाष्टमी व्रत में प्रातःकाल स्नान आदि करके व्रतधारी को व्रत का सङ्कल्प ग्रहण करना चाहिये तथा पूर्ण दिवस उपवास का पालन करना चाहिये। सन्ध्याकाल में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के समक्ष विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। पूजन में पञ्चामृत, तुलसीदल, माखन-मिश्री, दूध, फल एवं धूप-दीप का प्रयोग होता है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण करते हुये भक्तजन श्रीमद्भागवत या गीता पाठ करते हैं तथा भजन-कीर्तन करते हुये अष्टमी तिथि की रात्रि में जागरण का आयोजन करते हैं।

विभिन्न हिन्दु धर्म ग्रन्थों में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का विशेष महत्त्व बताया गया है। स्कन्दपुराण, पद्मपुराण, नारदपुराण, व्रतराज तथा हरिभक्तिविलास जैसे ग्रन्थों में इसका उल्लेख मिलता है। हरिभक्तिविलास में तो इसे वैष्णव आचार का एक अनिवार्य अङ्ग माना गया है। इन ग्रन्थों में कहा गया है कि जो भक्त मासिक कृष्ण अष्टमी को श्रद्धा एवं विधिपूर्वक यह व्रत करता है, उसे पुण्यलोक की प्राप्ति होती है तथा वह अन्त समय में श्रीकृष्ण के परमधाम को प्राप्त होता है।

यह व्रत सांसारिक बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है तथा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। जो व्यक्ति मासिक कृष्ण अष्टमी का व्रत करता है, उसे जीवन में भगवद्भाव, आत्मशुद्धि एवं सद्गति की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन भक्तों के लिये अत्यन्त फलदायी है जो भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करने के इच्छुक हैं।

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द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
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