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2025 विनायक चतुर्थी व्रत के दिन बेंगलूरु, कर्णाटक, भारत के लिए

DeepakDeepak

2025 विनायक चतुर्थी

चतुर्थी
15 दिन शेष
विनायक चतुर्थी
आश्विन, शुक्ल चतुर्थी
बेंगलूरु, भारत
25
सितम्बर 2025
बृहस्पतिवार
2025 विनायक चतुर्थी उपवास के दिन
[2081 - 2082] विक्रम सम्वत
विनायक चतुर्थी
जनवरी 3, 2025, शुक्रवार
चतुर्थी
02 घण्टे 17 मिनट्स
पौष, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 01:08 ए एम, जनवरी 03
समाप्त - 11:39 पी एम, जनवरी 03
गणेश जयन्ती
फरवरी 1, 2025, शनिवार
चतुर्थी
02 घण्टे 05 मिनट्स
माघ, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 11:38 ए एम, फरवरी 01
समाप्त - 09:14 ए एम, फरवरी 02
विनायक चतुर्थी
मार्च 3, 2025, सोमवार
चतुर्थी
02 घण्टे 23 मिनट्स
फाल्गुन, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 09:01 पी एम, मार्च 02
समाप्त - 06:02 पी एम, मार्च 03
विनायक चतुर्थी
अप्रैल 1, 2025, मंगलवार
चतुर्थी
02 घण्टे 27 मिनट्स
चैत्र, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 05:42 ए एम, अप्रैल 01
समाप्त - 02:32 ए एम, अप्रैल 02
विनायक चतुर्थी
मई 1, 2025, बृहस्पतिवार
चतुर्थी
00 घण्टे 22 मिनट्स
वैशाख, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 02:12 पी एम, अप्रैल 30
समाप्त - 11:23 ए एम, मई 01
विनायक चतुर्थी
मई 30, 2025, शुक्रवार
चतुर्थी
02 घण्टे 34 मिनट्स
ज्येष्ठ, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 11:18 पी एम, मई 29
समाप्त - 09:22 पी एम, मई 30
विनायक चतुर्थी
जून 28, 2025, शनिवार
चतुर्थी
02 घण्टे 35 मिनट्स
आषाढ़, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 09:53 ए एम, जून 28
समाप्त - 09:14 ए एम, जून 29
विनायक चतुर्थी
जुलाई 28, 2025, सोमवार
चतुर्थी
02 घण्टे 33 मिनट्स
श्रावण, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 10:41 पी एम, जुलाई 27
समाप्त - 11:24 पी एम, जुलाई 28
गणेश चतुर्थी
अगस्त 27, 2025, बुधवार
चतुर्थी
02 घण्टे 29 मिनट्स
भाद्रपद, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 01:54 पी एम, अगस्त 26
समाप्त - 03:44 पी एम, अगस्त 27
विनायक चतुर्थी
सितम्बर 25, 2025, बृहस्पतिवार
चतुर्थी
02 घण्टे 25 मिनट्स
आश्विन, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 07:06 ए एम, सितम्बर 25
समाप्त - 09:33 ए एम, सितम्बर 26
विनायक चतुर्थी
अक्टूबर 25, 2025, शनिवार
चतुर्थी
02 घण्टे 21 मिनट्स
कार्तिक, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 01:19 ए एम, अक्टूबर 25
समाप्त - 03:48 ए एम, अक्टूबर 26
विनायक चतुर्थी
नवम्बर 24, 2025, सोमवार
चतुर्थी
02 घण्टे 18 मिनट्स
मार्गशीर्ष, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 07:24 पी एम, नवम्बर 23
समाप्त - 09:22 पी एम, नवम्बर 24
विनायक चतुर्थी
दिसम्बर 24, 2025, बुधवार
चतुर्थी
01 घण्टा 59 मिनट्स
पौष, शुक्ल चतुर्थी
प्रारम्भ - 12:12 पी एम, दिसम्बर 23
समाप्त - 01:11 पी एम, दिसम्बर 24

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में बेंगलूरु, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

2025 विनायक चतुर्थी

Lord Vinayaka

हिन्दु कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी होती है। हिन्दु धर्मग्रन्थों के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की तिथि है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।

हालाँकि विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है लेकिन सबसे मुख्य विनायक चतुर्थी का व्रत भाद्रपद के महीने में होता है। भाद्रपद के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण विश्व में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण है जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है। जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवान्छित फल प्राप्त करता है।

हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर को मध्याह्न काल के दौरान की जाती है। दोपहर के दौरान भगवान गणेश की पूजा का मुहूर्त विनायक चतुर्थी के दिनों के साथ दर्शाया गया है।

स्थान आधारित विनायक चतुर्थी के दिन

यह जानना महत्वपूर्ण है कि विनायक चतुर्थी के उपवास का दिन दो शहरों के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह जरुरी नहीं है कि दोनों शहर अलग-अलग देशों में हों क्योंकि यह बात भारत वर्ष के दो शहरों के लिए भी मान्य है। विनायक चतुर्थी के लिए उपवास का दिन सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है और जिस दिन मध्याह्न काल के दौरान चतुर्थी तिथि प्रबल होती है उस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसीलिए कभी कभी विनायक चतुर्थी का व्रत, चतुर्थी तिथि से एक दिन पूर्व, तृतीया तिथि के दिन पड़ जाता है।

क्योंकि मध्याह्न काल सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है जो सभी शहरों के लिए अलग-अलग होता है। इसीलिए विनायक चतुर्थी के व्रत की तालिका का निर्माण शहर की भूगोलिक स्थिति को लेकर करना अत्यधिक जरुरी है। द्रिकपञ्चाङ्ग की तालिका हरेक शहर की भूगोलिक स्थिति को लेकर तैयार की जाती है इसीलिए यह ज्यादा शुद्ध है। अधिकतर पञ्चाङ्ग सभी शहरों के लिए एक ही तालिका को सूचीबद्ध करते हैं इसीलिए वो केवल एक ही शहर के लिए मान्य होते हैं।

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