Visarjan is a Sanskrit word that refers to final ritual and act of respectfully requesting to departure of the deity.
At the beginning of any Puja, the presiding deity is first invoked in a Murti (idol) for the purpose of worship. At the end of the Puja, the presiding deity is requested to depart from the Murti.
उपर्युक्त प्रकार पूजा करने के बाद, पूजा में उपस्थित सभी बालक-पुरुष-महिलाएँ अपने हाथों में पुष्प लेकर भगवान गणेश, महा-लक्ष्मी, महा-काली, महा-सरस्वती, कुबेर की जय-जयकार बोलें तथा छोटे-बड़े के क्रम से उनके सम्मुख पुष्प अर्पित करते हुए दण्डवत् प्रणाम करें।
दण्डवत् प्रणाम करने के बाद पूजा करनेवाला दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प लेकर विसर्जन हेतु निम्न मन्त्र पढ़े -
Yantu Deva-Ganah Sarve, Pujamadaya Mamakim।
Ishta-Kama-Samriddhyartham, Punaragamanaya Cha॥
मन्त्र अर्थ - सभी देवगण मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकार कर अभीष्ट कामनाओं की समृद्धि के लिए पुनः आने के लिए यहाँ से विदा हों।
उक्त मन्त्र पढ़ने के बाद पूजा करनेवाला अक्षत-पुष्प देवताओं के सम्मुख छोड़कर उन्हें प्रणाम करे। पूजा में भाग लेनेवाले सभी लोग पूजा करनेवाले को प्रणाम करें, दक्षिणा दें और प्रसाद लें।