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1693 करवा चौथ व्रत का दिन और पूजा मुहूर्त Fairfield, Connecticut, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए

DeepakDeepak

1693 करवा चौथ

Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका
करवा चौथ
17वाँ
अक्टूबर 1693
Saturday / शनिवार
करवा चौथ पर पति को छलनी से देख व्रत का पारण करते हुए
Sighting husband through sieve during Karwa Chauth

करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय और पूजा मुहूर्त

करवा चौथ शनिवार, अक्टूबर 17, 1693 को
करवा चौथ पूजा मुहूर्त - 05:12 पी एम से 06:30 पी एम
अवधि - 01 घण्टा 18 मिनट्स
करवा चौथ व्रत समय - 06:12 ए एम से 06:52 पी एम
अवधि - 12 घण्टे 40 मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 17, 1693 को 06:20 ए एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - अक्टूबर 18, 1693 को 08:53 ए एम बजे

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

1693 करवा चौथ

करवा चौथ का व्रत कार्तिक हिन्दु माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दौरान किया जाता है। अमान्त पञ्चाङ्ग जिसका अनुसरण गुजरात, महाराष्ट्र, और दक्षिणी भारत में किया जाता है, के अनुसार करवा चौथ आश्विन माह में पड़ता है। हालाँकि यह केवल माह का नाम है जो इसे अलग-अलग करता है और सभी राज्यों में करवा चौथ एक ही दिन मनाया जाता है।

करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी, जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है, एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।

करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, जो कि अर्घ कहलाता है, किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।

करवा चौथ दक्षिण भारत की तुलना में उत्तरी भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। करवा चौथ के चार दिन बाद पुत्रों की दीर्घ आयु और समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है।

Kalash
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