टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
छठ पूजा का पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है। छठ पूजा के चार दिनों में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। छठ पूजा का व्रत मुख्य रूप से स्त्रियाँ अपने पुत्रों की कुशलता एवं परिवार की प्रसन्नता के लिये करती हैं। छठ पूजा मुख्य रूप से भारत के बिहार राज्य एवं उससे सटे नेपाल में मनायी जाती है।
सूर्य देव की पूजा चार दिनों तक की जाती है। छठ के प्रथम दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र जल में, विशेषतः गङ्गा नदी में डुबकी लगायी जाती है। छठ व्रत का पालन करने वाली स्त्रियाँ इस दिन केवल एक समय भोजन करती हैं।
छठ के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला व्रत किया जाता है। सूर्यास्त के तुरन्त पश्चात, सूर्य देव को भोजन अर्पित करने के उपरान्त व्रत का पारण किया जाता है। दूसरे दिन प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात तीसरे दिन का व्रत आरम्भ होता है।
छठ पूजा के तीसरे मुख्य दिवस पर सम्पूर्ण दिन निर्जला व्रत किया जाता है। अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देना इस दिन का प्रमुख अनुष्ठान होता है। यह वर्ष का एकमात्र समय है, जब अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया जाता है। तीसरे दिन का उपवास पूर्ण रात्रि पर्यन्त रहता है तथा अगले दिन सूर्योदय के उपरान्त पारण किया जाता है।
छठ के चौथे एवं अन्तिम दिवस पर, उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया जाता है तथा इसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात, 36 घण्टे का उपवास पूर्ण किया जाता है।
छठ पूजा को प्रतिहार, डाला छठ, छठी तथा सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।