नवरात्रि नवदुर्गा
नवदुर्गा का अर्थ है, नौ दुर्गा। नवदुर्गा, माँ दुर्गा की नौ विभिन्न रूपों में अभिव्यक्ति है। नवदुर्गा की अवधारणा देवी पार्वती से उत्पन्न होती है। वैचारिक रूप से नवदुर्गा देवी पार्वती का जीवन चरण है, जिन्हें सभी देवी-देवताओं में सर्वोच्च शक्ति माना जाता है। वर्ष में सभी चार नवरात्रि के दौरान नवदुर्गा की पूजा की जाती है।
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नौ देवियाँ
माँ दुर्गा के नौ रूप इस प्रकार हैं -
- देवी शैलपुत्री - देवी सती के रूप में आत्मदाह करने के पश्चात, देवी पार्वती ने पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। संस्कृत में शैल का अर्थ पर्वत होता है, इसीलिये देवी को पर्वत की पुत्री शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।
- देवी ब्रह्मचारिणी - देवी कूष्माण्डा का स्वरूप धारण करने के उपरान्त देवी पार्वती ने दक्ष प्रजापति की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस रूप में देवी पार्वती एक महान सती थीं तथा उनके अविवाहित ही रूप को देवी ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है।
- देवी चन्द्रघण्टा - देवी चन्द्रघण्टा, देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। भगवान शिव से विवाह करने के पश्चात देवी महागौरी ने अपने मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करना आरम्भ कर दिया, जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चन्द्रघण्टा के नाम से जाना जाने लगा।
- देवी कूष्माण्डा - माँ सिद्धिदात्री का रूप धारण करने के पश्चात, देवी पार्वती सूर्य के केन्द्र के भीतर निवास करने लगीं ताकि वह ब्रह्माण्ड को ऊर्जा प्रदान कर सकें। उसी समय से देवी को कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता है। कूष्माण्डा वह देवी हैं, जिनमें सूर्य के अन्दर निवास करने की शक्ति एवं क्षमता है। देवी कूष्माण्डा की देह की तेज एवं कान्ति सूर्य के समान दैदीप्यमान है।
- देवी स्कन्दमाता - जब देवी पार्वती भगवान स्कन्द (जिन्हें भगवान कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है) की माँ बनीं, तो वह देवी स्कन्दमाता के नाम से लोकप्रिय हो गयीं।
- देवी कात्यायनी - राक्षस महिषासुर का संहार करने हेतु देवी पार्वती ने देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। यह देवी पार्वती का सबसे उग्र रूप था। देवी पार्वती के कात्यायनी स्वरूप को योद्धा देवी के रूप में भी जाना जाता है।
- देवी कालरात्रि - जब देवी पार्वती ने शुम्भ एवं निशुम्भ नामक राक्षसों का वध करने हेतु अपनी बाहरी स्वर्णिम त्वचा को हटा दिया, तो उन्हें देवी कालरात्रि के नाम से जाना गया। कालरात्रि देवी पार्वती का सर्वाधिक उग्र एवं वीभत्स रूप है।
- देवी महागौरी - हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी शैलपुत्री सोलह वर्ष की आयु में अत्यन्त रूपवती थीं तथा उन्हें गौर वर्ण का आशीर्वाद प्राप्त था। उनके अत्यधिक गौर वर्ण के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता था।
- देवी सिद्धिदात्री - ब्रह्माण्ड के आरम्भ में भगवान रुद्र ने सृजन हेतु आदि-पराशक्ति की पूजा की। मान्यताओं के अनुसार, देवी आदि-पराशक्ति का कोई रूप नहीं था अर्थात वह निराकार रूप में थीं। शक्ति की सर्वोच्च देवी, आदि-पराशक्ति, भगवान शिव के बायें अर्ध भाग से माता सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुयीं थीं।