टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
पंगुनी उथिरम् तमिल हिन्दुओं के लिये एक अत्यन्त महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व पंगुनी माह में उथिरम् नक्षत्र होने पर मनाया जाता है। उत्तर भारत में उथिरम् नक्षत्र को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के रूप में जाना जाता है। पंगुनी तमिल कैलेण्डर का बारहवाँ तथा अन्तिम माह है। पंगुनी माह को अन्य सौर कैलेण्डरों में मीन माह के रूप में जाना जाता है।
इस अवसर पर पूर्णिमा के दिन उथिरम् नक्षत्रम का संयोग बनता है तथा मान्यताओं के अनुसार, अधिकांश दैवीय विवाह इसी दिन सम्पन्न हुये थे। देवी पार्वती एवं भगवान शिव, देवी देवयानै एवं भगवान मुरुगन तथा देवी सीता एवं भगवान राम का विवाह पंगुनी उथिरम् के दिन ही आयोजित किया गया था।
पंगुनी उथिरम् पर श्री देवयानै ने भगवान सुब्रमण्यम से विवाह किया था, अतः भगवान सुब्रमण्यम के भक्तों हेतु यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन, सभी मुरुगन मन्दिरों में, सैकड़ों की सँख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह माना जाता है कि, देवी पार्वती ने गौरी के रूप में काँचीपुरम नामक स्थान पर भगवान शिव से विवाह किया था। इस विश्वास के कारण पंगुनी उथिरम् को गौरी कल्याणम् दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
पंगुनी उथिरम् को महालक्ष्मी जयन्ती के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन क्षीर सागर के पौराणिक समुद्रमन्थन के समय देवी महालक्ष्मी का प्रकाट्य हुआ था। समुद्रमन्थन को क्षीर सागर मन्थन के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन को भगवान अयप्पन जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान विष्णु के स्त्री रूप मोहिनी, तथा भगवान शिव के मिलन के कारण भगवान अयप्पन का जन्म हुआ था।
पंगुनी उथिरम् को पैगुनी उत्तरम के नाम से भी जाना जाता है।