भगवान गणेश हिन्दु धर्म के लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। भगवान गणेश को गणपति एवं विनायक आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान गणेश, भगवान शिव एवं देवी पार्वती के पुत्र तथा भगवान कार्तिकेय के भाई हैं।
भगवान गणेश क्रमशः बुद्धि (ज्ञान), सिद्धि (आध्यात्मिकता) एवं ऋद्धि (समृद्धि) नामक तीन गुणों के प्रतिरूप हैं। भगवान गणेश को साक्षात् बुद्धि का स्वरूप माना जाता है। भगवान गणेश के अन्य दो गुणों को देवियों के रूप वर्णित किया गया है एवं उन्हें भगवान गणेश की अर्धाङ्गिनी माना जाता है। अधिकांश कलाकृतियों में गणेश जी को अपनी दो पत्नियों, रिद्धि-सिद्धि के साथ दर्शाया जाता है। मान्यता है कि रिद्धि एवं सिद्धि भगवान ब्रह्मा की सुपुत्रियाँ थीं तथा स्वयं ब्रह्मा जी ने ही उन दोनों का विवाह भगवान गणेश के साथ किया था।
शिव पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के दो सुपुत्र हैं, इनका नाम शुभ तथा लाभ है। शुभ व लाभ दोनों शुभता एवं आर्थिक लाभ के प्रतीक हैं। शुभ देवी रिद्धि के पुत्र हैं तथा लाभ देवी सिद्धि के पुत्र हैं।
भगवान गणेश के वैवाहिक जीवन के सन्दर्भ में विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत हैं। एक मत के अनुसार गणेश जी अविवाहित एवं ब्रह्मचारी हैं। मुद्गल पुराण एवं शिव पुराण को भगवान गणेश के वैवाहिक जीवन की प्रमाणिकता का आधार माना जाता है, क्योंकि इन दोनों ही पुराणों में गणेश जी के वैवाहिक जीवन का वर्णन प्राप्त होता है।
भगवान गणेश को मनुष्य देह व गजमुख स्वरूप में दर्शाया जाता है। साधारणतः उनके चतुर्भुज रूप का चित्रण किया जाता है, जिसमें ऊपर के दोनों हाथों में पाश (रस्सी का फन्दा) तथा अंकुश अलङ्कृत हैं। भगवान गणेश का एक अन्य हाथ अभय मुद्रा में है तथा अन्तिम हाथ में एक मोदक से भरा पात्र है। भगवान गणेश का वाहन मूषक है।
भगवान गणेश के जन्मदिवस को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
मुद्गल पुराण के अनुसार भगवान गणेश के आठ प्रमुख एवं महत्वपूर्ण अवतार हैं, जो कि अष्टविनायक के रूप में लोकप्रिय हैं। भगवान गणपति के अन्य 32 भिन्न-भिन्न रूपों की भी पूजा अर्चना की जाती है।