वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि हम राशि चक्र को सत्ताईस (27) समान भागों में विभाजित करते हैं, तो प्रत्येक भाग 13° 20′ का होगा तथा प्रत्येक भाग को नक्षत्र कहा जाता है। यदि हम मेष राशि, अर्थात् निरयण के अनुसार प्रारम्भिक स्थिति से आरम्भ करते हैं, तो सभी नक्षत्रों को निम्नलिखित सूचि के अनुसार नाम दिया जा सकता है।
इन 28 नक्षत्रों को सात समूहों में विभाजित किया गया है। नक्षत्रों का सात समूहों में वर्गीकरण इस प्रकार है -
निम्नलिखित चार नक्षत्र, स्थिर प्रकृति के माने जाते हैं।
स्थिर नक्षत्र श्रेणी को ध्रुव, अचल तथा स्थायी के नाम से भी जाना जाता है। नींव रखना, कुआँ खोदना, गृह निर्माण, उपनयन, कृषि, नौकरी आरम्भ करना आदि, सभी स्थिर प्रकृति के कार्य इन नक्षत्रों में किये जाते हैं।
निम्नलिखित पाँच नक्षत्र, चर प्रकृति के माने जाते हैं।
चर नक्षत्र श्रेणी को चल नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है। वाहन, घोड़े, हाथी पर सवारी तथा यात्रा आदि, सभी चल गतिविधियाँ इन नक्षत्रों में की जा सकती हैं। इन कार्यों के अतिरिक्त भी वे सभी अन्य कार्य, जिनमें गति की आवश्यकता होती है, चल नक्षत्र में किये जा सकते हैं।
निम्नलिखित पाँच नक्षत्र, क्रूर प्रकृति के माने जाते हैं।
क्रूर नक्षत्र श्रेणी को उग्र नक्षत्र श्रेणी के रूप में भी जाना जाता है। ये सभी नक्षत्र प्रकृति में आक्रामक हैं तथा हत्या, धोखाधड़ी, अग्नि का उपयोग करने वाले कार्य, चोरी, विष, विषैली औषधियों पर शोध, आयुधों का क्रय या विक्रय तथा उपयोग, शल्य चिकित्सा संचालन, बन्दूक का अनुज्ञापत्र प्राप्त करने आदि के लिये उपयुक्त होते हैं।
निम्नलिखित दो नक्षत्र, सामान्य प्रकृति के माने जाते हैं।
सामान्य नक्षत्र श्रेणी को मिश्र, साधारण तथा मिश्रित नक्षत्र के रूप में भी जाना जाता है। ये नक्षत्र अग्नि से सम्बन्धित कार्य, वेल्डिंग, धातु गलाना, गैस कार्य, निर्माण कार्य, औषधि तैयार करना, अग्निहोत्र आदि के लिये उत्तम होते हैं।
निम्नलिखित चार नक्षत्र, लघु प्रकृति के माने जाते हैं।
लघु नक्षत्र श्रेणी को क्षिप्र नक्षत्र के रूप में भी जाना जाता है। ये नक्षत्र निर्माण कार्य, दुकान आरम्भ करना, विक्रय, सहवास, शिक्षा आरम्भ करना, आभूषण निर्माण तथा धारण, ललित कला, कला सीखने तथा प्रदर्शन करने आदि के लिये उपयुक्त होते हैं।
चल नक्षत्र के अन्तर्गत किये जाने वाले सभी कार्य लघु नक्षत्र के समय भी किये जा सकते हैं। पुष्य नक्षत्र को विवाह समारोह के लिये अनुकूल नहीं माना जाता है।
निम्नलिखित चार नक्षत्र, सौम्य प्रकृति के माने जाते हैं।
सौम्य नक्षत्र श्रेणी को मृदु तथा मैत्र के नाम से भी जाना जाता है। गायन, संगीत अध्ययन, वस्त्र सिलना एवं धारण करना, खेलना, खेल कौशल सीखना, मित्र बनाना, आभूषण निर्माण तथा धारण करना आदि गतिविधियाँ इन नक्षत्रों में की जा सकती हैं।
स्थिर नक्षत्र के समय की जाने वाली सभी गतिविधियाँ, सौम्य नक्षत्र के समय भी की जा सकती हैं।
निम्नलिखित चार नक्षत्र, तीक्ष्ण प्रकृति के माने जाते हैं।
तीक्ष्ण नक्षत्र श्रेणी को दारुण अथवा कटु भी कहा जाता है। ये नक्षत्र तान्त्रिक क्रियायें, हत्या, काला जादू, आक्रामक एवं घातक कार्य, दूसरों को विभाजित करने, पशुओं को प्रशिक्षित करने एवं उन्हें वश में करने तथा साधना एवं हठ योग के लिये उत्तम होते हैं।
क्रूर नक्षत्र के समय किये जाने वाले सभी कार्य तीक्ष्ण नक्षत्र के समय भी किये जा सकते हैं।