वैदिक ज्योतिष में सत्ताईस (27) योगों का वर्णन प्राप्त होता है।
निम्नलिखित नौ योग विवाह हेतु अशुभ माने जाते हैं।
यह मान्यता है कि, उपरोक्त नित्य योगों के समय सम्पन्न किया गया विवाह वर अथवा वधु की मृत्यु का कारण बनता है। वधु विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकती है। वर शराबी, माँसाहारी तथा कायर बन सकता है। दम्पति के पुत्र की मृत्यु भी हो सकती है।
अतः विवाह हेतु शुभ तिथि निर्धारित करते समय उपरोक्त सभी योगों से बचना चाहिये। शेष अठारह (18) योग विवाह हेतु शुभ माने जाते हैं।
टिप्पणी: इन योगों में विष घटी अवधि होती है, जो विशेष रूप से हानिकारक होती है। शुभ कार्यों के लिये योग के मात्र उस भाग को त्यागने की सलाह दी जाती है। इन 9 नित्य योगों के केवल अशुभ भाग को त्यागकर, शेष समय में सभी मांगलिक कार्य सम्पन्न किये जा सकते हैं।