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फरवरी 10, 2025 अन्नप्राशन का मुहूर्त Fairfield, Connecticut, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak
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पुरुषमहिला
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Dateजन्म दिनाँक?
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ओल्सन समय क्षेत्र डी.एस.टी. नियम के लिये?
समय क्षेत्र अन्तराल?

अयनांश?

फरवरी 10, 2025, सोमवार

अन्नप्राशन मुहूर्त

Annaprashana

जन्म के बाद पहली बार, माँ के दूध के अलावा, बच्चे को कुछ भोज्य पदार्थ का सेवन करवाना हिन्दु धर्म में एक महत्वपूर्ण आयोजन है जिसे सामान्यतः अन्नप्राशन के नाम से जाना जाता है। अन्नप्राशन संस्कार हिन्दु शास्त्रों में वर्णित 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है। यह संस्कार बच्चे के लिये अच्छे स्वास्थ्य और उचित पोषण के महत्व को सुनिश्चित करने पर जोर देता है।

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Chart
उत्तरदक्षिणपूर्व
  • 06:54 ए एम
    Auspicious Muhurat
    प्रारम्भ:
    06:54 ए एम, फरवरी 10
    समाप्त:
    07:05 ए एम, फरवरी 10
    00 घण्टे 11 मिनट्स
    👍
    पुनर्वसु
    Punarvasu
    , मकर लग्न, शुक्ल त्रयोदशी
    📊
    समय अन्तराल की कुण्डली
    डी 1
  • 07:05 ए एम
    Auspicious Muhurat
    प्रारम्भ:
    07:05 ए एम, फरवरी 10
    समाप्त:
    08:12 ए एम, फरवरी 10
    01 घण्टा 07 मिनट्स
    👍
    पुनर्वसु
    Punarvasu
    , पुष्य
    Pushya
    , कुम्भ लग्न, शुक्ल त्रयोदशी
    📊
    समय अन्तराल की कुण्डली
    डी 1
  • 08:12 ए एम
    Auspicious Muhurat
    प्रारम्भ:
    08:12 ए एम, फरवरी 10
    समाप्त:
    08:17 ए एम, फरवरी 10
    00 घण्टे 05 मिनट्स
    👍
    पुष्य
    Pushya
    , कुम्भ लग्न, शुक्ल त्रयोदशी
    📊
    समय अन्तराल की कुण्डली
    डी 1
    1 अन्य
    👎
    राहु काल
    Info
  • 08:17 ए एम

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -

  • Auspicious Muhurat
    शुभ - कार्य करने के लिये बहुत अच्छा।
  • अशुभ - कार्य करना अच्छा नहीं।
  • Mixed Muhurat
    मिश्रित - अच्छे अन्तराल उपलब्ध लेकिन कुछ दोष होने के कारण इसे अति आवश्यक होने पर ही सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिये।

नक्षत्र: सभी स्थिर नक्षत्र, रोहिणी (4), उत्तराफाल्गुनी (12), उत्तराषाढा (21), उत्तर भाद्रपद (26), सभी चल नक्षत्र यानी स्वाती (15), पुनर्वसु (7), श्रवण (22), धनिष्ठा (23), शतभिषा (24), सभी सौम्य और मैत्रीपूर्ण नक्षत्र, मृगशिरा (5), रेवती (27), चित्रा (14), अनुराधा (17) और सभी लघु नक्षत्र, हस्त (13), अश्विनी (1), पुष्य (8) अन्नप्राशन के लिये शुभ माने जाते हैं।

तिथि: शुक्ल द्वितीया (2), शुक्ल तृतीया (3), शुक्ल पञ्चमी (5), शुक्ल सप्तमी (7), शुक्ल दशमी (10), शुक्ल त्रयोदशी (13), पूर्णिमा (15), कृष्ण द्वितीया (17), कृष्ण तृतीया (18), कृष्ण पञ्चमी (20), कृष्ण सप्तमी (22), कृष्ण दशमी (25), कृष्ण त्रयोदशी (28) तिथियों को अन्नप्राशन के लिये शुभ माना जाता है।

दिन: अन्नप्राशन के लिये सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को शुभ माना जाता है।

लग्न: मेष (1), वृश्चिक (8), और मीन (12) लग्न को छोड़कर, अन्य सभी लग्नों को अन्नप्राशन संस्कार के लिये शुभ माना जाता है।

कुण्डली: कुण्डली को लेकर कई नियम कहे गये हैं लेकिन अगर हम सभी नियमों का पालन करते हैं तो उपयुक्त मुहूर्त खोजना लगभग असम्भव जैसा हो जायेगा। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि दसवें घर में कोई ग्रह न हो। साथ ही, हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि चन्द्रमा प्रथम, छठे और आठवें भाव में ना बैठा हो। हालाँकि पूर्ण चन्द्र प्रथम भाव में शुभ माना जाता है।

परम्परागत रूप से बालक के लिये अन्नप्राशन छठे, आठवें, दसवें या बारहवें माह में किया जाता है तथा बालिकाओं के लिये अन्नप्राशन पाँचवें, सातवें, नौवें या ग्यारवें माह में किया जाता है। यदि शुक्ल पक्ष के दौरान और दोपहर से पहले का मुहूर्त उपलब्ध है तो वह अन्नप्राशन के लिये श्रेष्ठ माना जाता है।

प्रचलित परम्परा के अनुसार, बच्चे को दिया जाने वाला पहला भोजन शहद, मक्खन, दही या चावल की खीर होती है।

Kalash
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