यदि स्तनपान जातकर्म के पश्चात आरम्भ किया जाये, तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। यदि किसी कारणवश जातकर्म के समय स्तनपान नहीं कराया गया हो, तो शिशु के जन्म से 5वें अथवा 7वें दिन स्तनपान आरम्भ किया जा सकता है।
टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Elko, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -
स्तनपान आरम्भ करने हेतु उपयुक्त मुहूर्त ज्ञात करने के लिये, निम्नलिखित तथ्यों पर विचार करने का सुझाव दिया जाता है -
नक्षत्र: सभी स्थिर नक्षत्र, अर्थात रोहिणी (4), उत्तराफाल्गुनी (12), उत्तराषाढा (21), उत्तर भाद्रपद (26), चल नक्षत्र अर्थात पुनर्वसु (7), श्रवण (22), सभी सौम्य एवं मैत्रीपूर्ण नक्षत्र अर्थात मृगशिरा (5), चित्रा (14), अनुराधा (17), रेवती (27) तथा सभी लघु नक्षत्र अर्थात अश्विनी (1), पुष्य (8), हस्त (13) स्तनपान आरम्भ करने के लिये शुभ माने जाते हैं।
तिथि: शुक्ल द्वितीया (2), शुक्ल तृतीया (3), शुक्ल पञ्चमी (5), शुक्ल सप्तमी (7), शुक्ल दशमी (10), शुक्ल एकादशी (11), शुक्ल त्रयोदशी (13), पूर्णिमा (15), कृष्ण प्रतिपदा, (16), कृष्ण द्वितीया (17), कृष्ण तृतीया (18), कृष्ण पञ्चमी (20), कृष्ण सप्तमी (22), कृष्ण दशमी (25), कृष्ण एकादशी (26) को स्तनपान आरम्भ करने के लिये शुभ माना जाता है।
दिन: स्तनपान आरम्भ करने के लिये सोमवार, बुधवार, गुरुवार तथा शुक्रवार को शुभ माना जाता है।
लग्न: मेष (1), सिंह (5), वृश्चिक (8), मकर (10) एवं कुम्भ (11) लग्न के अतिरिक्त, अन्य सभी लग्न स्तनपान आरम्भ करने के लिये शुभ माने जाते हैं।
अन्य: अनिष्टकारी नित्य योग, करण तथा पञ्चाङ्ग में वर्णित निषिद्ध समय स्तनपान हेतु त्याज्य माना जाता है।