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जनवरी 30, 2025 अक्षरारम्भ का मुहूर्त Sandakan, Sabah, मलेशिया के लिये

DeepakDeepak
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पुरुषमहिला
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जनवरी 30, 2025, बृहस्पतिवार

अक्षरारम्भ मुहूर्त

Akshararambha

अक्षरारम्भ एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसके अन्तर्गत शिशु को अक्षर ज्ञान कराया जाता है। भगवान गणेश, गुरुदेव भगवान, देवी सरस्वती एवं कुलदेवता की पूजा करने के पश्चात् शिशु को अक्षर सिखाये जाते हैं। अनुष्ठान के समय शिक्षक पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठता है तथा शिशु पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठता है। अनुष्ठान के अन्त में शिक्षक को वस्त्र एवं अन्य वस्तुयें भेंट की जाती हैं तथा वह शिशु को उज्ज्वल भविष्य के लिये आशीर्वाद प्रदान करता है।

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Chart
उत्तरदक्षिणपूर्व
  • 21:04
    Mixed Muhurat
    प्रारम्भ:
    21:04, जनवरी 30
    समाप्त:
    22:20, जनवरी 30
    01 घण्टा 16 मिनट्स
    👍
    कन्या लग्न, शुक्ल द्वितीया, अश्विनी होरा, रेवती होरा
    👎
    धनिष्ठा
    Dhanishtha
    📊
    समय अन्तराल की कुण्डली
    डी 1
  • 22:20
  • 03:10
    Mixed Muhurat
    प्रारम्भ:
    03:10, जनवरी 31
    समाप्त:
    05:18, जनवरी 31
    02 घण्टे 08 मिनट्स
    👍
    धनु लग्न, शुक्ल द्वितीया, पुष्य होरा, हस्त होरा, चित्रा होरा, श्रवण होरा
    👎
    धनिष्ठा
    Dhanishtha
    📊
    समय अन्तराल की कुण्डली
    डी 1
  • 05:18

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में Sandakan, मलेशिया के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -

  • Auspicious Muhurat
    शुभ - कार्य करने के लिये बहुत अच्छा।
  • अशुभ - कार्य करना अच्छा नहीं।
  • Mixed Muhurat
    मिश्रित - अच्छे अन्तराल उपलब्ध लेकिन कुछ दोष होने के कारण इसे अति आवश्यक होने पर ही सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिये।

अक्षरारम्भ संस्कार, शिशु के 5वें वर्ष में उत्तरायण के समय किया जाता है। अक्षरारम्भ अनुष्ठान के लिये उपयुक्त समय का चयन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाता है।

नक्षत्र: सभी लघु नक्षत्र अर्थात् अश्विनी (1), पुष्य (8), हस्त (13), एवं सौम्य व मित्र नक्षत्र अर्थात् चित्रा (14), अनुराधा (17), रेवती (27), चर नक्षत्र पुनर्वसु (7), स्वाती (15), श्रवण (22) तथा उग्र नक्षत्र अर्थात् आर्द्रा (6) को अक्षरारम्भ के लिये उत्तम माना जाता है।

तिथि: शुक्लपक्ष एवं कृष्णपक्ष दोनों पक्षों की द्वितीया (2), तृतीया (3), पञ्चमी (5), षष्ठी (6), दशमी (10), एकादशी (11), द्वादशी (12) तिथि अक्षरारम्भ के लिये शुभ मानी जाती हैं। कृष्ण पक्ष की तुलना में शुक्ल पक्ष की तिथियों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है।

दिन: सोमवार, बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार अक्षरारम्भ के लिये उत्तम माने जाते हैं।

लग्न: चल ग्रह के अतिरिक्त सभी शुभ ग्रह के लग्न अक्षरारम्भ के लिये अनुकूल माने जाते हैं। अन्य शब्दों में, वृषभ (2), मिथुन (3), कन्या (6), धनु (9) तथा मीन (12) लग्न को अक्षरारम्भ के लिये उत्तम माना जाता है।

कुण्डली: 8वाँ घर रिक्त होना चाहिये। 7वें अथवा 10वें घर में बलवान स्थिति में स्थित शुभ ग्रह उत्तम माने जाते हैं।

चन्द्र एवं तारा शुद्धि: शिशु के लिये उचित चन्द्र एवं तारा शुद्धि करनी चाहिये। यदि बुध, शिशु के अनुकूल रूप से गोचर कर रहा है, तो यह समय अक्षरारम्भ हेतु अति उत्तम माना जाता है।

Kalash
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