विद्यारम्भ एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसके द्वारा शिशु की औपचारिक शिक्षा आरम्भ की जाती है। यह संस्कार सामान्यतः अक्षरारम्भ के उपरान्त किया जाता है, जब शिशु अक्षर एवं मूल गणित को समझने लगता है। विद्यारम्भ वह शिक्षा है, जिसे शिशु के भविष्य की आजीविका को ध्यान में रखते हुये आरम्भ किया जाता है।
टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में Takoradi, Ghana के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -
विद्यारम्भ के लिये शुभ मुहूर्त का चयन करते समय, निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान देना चाहिये।
नक्षत्र: सभी स्थिर नक्षत्र अर्थात् रोहिणी (4), उत्तराफाल्गुनी (12), उत्तराषाढा (21), उत्तर भाद्रपद (26), एवं सभी चल नक्षत्र अर्थात् स्वाती (15), पुनर्वसु (7), श्रवण (22), धनिष्ठा ( 23), शतभिषा (24), तथा सभी सौम्य एवं मित्र नक्षत्र अर्थात् मृगशिरा (5), रेवती (27), चित्रा (14), अनुराधा (17) तथा सभी लघु नक्षत्र अर्थात् हस्त (13), अश्विनी (1), पुष्य ( 8) एवं अन्य अर्थात् अश्लेशा (9), मूल (19), आर्द्रा (6), पूर्वाफाल्गुनी (11), पूर्वाषाढा (20) तथा पूर्व भाद्रपद (25) विद्यारम्भ के लिये शुभ माने जाते हैं।
तिथि: शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों की द्वितीया (2), तृतीया (3), पञ्चमी (5), षष्ठी (6), दशमी (10), एकादशी (11), द्वादशी (12) विद्यारम्भ के लिये शुभ मानी जाती हैं। कृष्ण पक्ष की तुलना में शुक्ल पक्ष की तिथियों को प्राथमिकता दी जाती है।
दिन: सोमवार, मंगलवार और शनिवार को छोड़कर, अन्य सभी सप्ताह विद्यारम्भ के लिये उत्तम माने जाते हैं।
लग्न: सभी स्थिर लग्न अर्थात् वृषभ (2), सिंह (5), वृश्चिक (8) तथा कुम्भ (11) से बचना चाहिये, क्योंकि इन्हें विद्यारम्भ के लिये अशुभ माना जाता है।
कुण्डली: आठवाँ घर रिक्त होना चाहिये।
चन्द्र एवं तारा शुद्धि: सन्तान के लिये उचित चन्द्र एवं तारा शुद्धि करनी चाहिये। यदि बुध ग्रह सन्तान के लिये अनुकूल गोचर कर रहा हो, तो यह समय विद्यारम्भ के लिये अति उत्तम माना जाता है।