☰
Search
Mic
हि
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

मई 01, 2026 सीमन्त संस्कार | गोद भराई का मुहूर्त Fairfield, Connecticut, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak
जन्म विवरण
CompressX
Boyनाम?
लिङ्ग
पुरुषमहिला
?

Dateजन्म दिनाँक?
Timeस्थानीय जन्म समय?

Locationजन्म स्थान?
जन्म का राज्य?
जन्म का देश?
उन्नत विकल्प / स्थान तय करें।Expand Icon

उन्नतांश?
अक्षांश?
रेखांश?

ओल्सन समय क्षेत्र डी.एस.टी. नियम के लिये?
समय क्षेत्र अन्तराल?

अयनांश?

मई 1, 2026, शुक्रवार

सीमन्त संस्कार मुहूर्त

God Bharai

सीमन्त संस्कार जो आधुनिक भारत में गोद भराई के नाम से अधिक लोकप्रिय है, पश्चिमी सभ्यता में होने वाले बेबी शॉवर के समान है। आमतौर पर, गोद भराई की रस्म को माता और शिशु के उत्तम स्वास्थ्य एवं सुरक्षित प्रसव के लिये सम्पन्न किया जाता है।

Profile Picture
+नया जोड़े
Openखोलें
Editसम्पादित करें
Xबन्द करें
Chart
उत्तरदक्षिणपूर्व
सीमन्त संस्कार - आज के दिन कोई मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

    टिप्पणी: सभी समय २४:००+ प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
    आधी रात के बाद के समय २४:०० से अधिक हैं और आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

    सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -

    • Auspicious Muhurat
      शुभ - कार्य करने के लिये बहुत अच्छा।
    • अशुभ - कार्य करना अच्छा नहीं।
    • Mixed Muhurat
      मिश्रित - अच्छे अन्तराल उपलब्ध लेकिन कुछ दोष होने के कारण इसे अति आवश्यक होने पर ही सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिये।

    सीमन्त संस्कार को सीमन्तोन्नयन एवं कुसुम प्रतिष्ठा के नाम से भी जाना जाता है। सीमन्तोन्नयन शब्द का तात्पर्य मस्तिष्क के उत्थापन, एवं उसके उदात्तीकरण और पोषण से है। पति द्वारा अपनी गर्भवती पत्नी के बालों को दो भागों में बाँटकर संवारने की रस्म को सीमन्तोन्नयन संस्कार का प्रतीकात्मक रूप माना जा सकता है।

    सीमन्त या गोद भराई की रस्म को सम्पूर्ण भारत में विभिन्न नामों के साथ मनाया जाता है। आन्ध्र प्रदेश में इसे श्रीमंथम के नाम से जाना जाता है, बंगाल में शाद, तमिल नाडु में वलईकप्पू, केरल में सीमांधम, महाराष्ट्र में दोहाले जेवण तथा गुजरात में श्रीमंत के नाम से जाना जाता है।

    जो विचार पुंसवन संस्कार के लिये आवश्यक बताये गये हैं, वे सभी सीमन्त संस्कार के लिये भी सुझाये जाते हैं। पुंसवन संस्कार जहाँ गर्भावस्था के तृतीय माह में किया जाता है, वहीं सीमन्त संस्कार गर्भावस्था के षष्ठम अथवा अष्टम माह में सम्पन्न किया जाता है।

    गर्भावस्था के माह का स्वामी ग्रह: गर्भावस्था के माह के स्वामी ग्रह की गोचर में स्थिति प्रबल होना चाहिये। इसके अतिरिक्त, गर्भावस्था के माह का स्वामी उच्च राशि का हो, स्वराशि में हो, मित्र राशि में स्थित हो, या प्रबल नवांश में हो, यह ध्यान रखना चाहिये।

    प्रथम माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह शुक्र है, द्वितीय माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह मङ्गल है, तृतीय माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह बृहस्पति है, चतुर्थ माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह सूर्य, पञ्चम माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह चन्द्र, षष्ठम माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह शनि, सप्तम माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह बुध, अष्टम माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह गर्भधारण का स्वामी लग्न ही होगा, नवम माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह चन्द्र तथा दशम माह में गर्भावस्था का स्वामी ग्रह सूर्य है।

    नक्षत्र: मृगशिरा (5), पुनर्वसु (7), पुष्य (8), हस्त (13), श्रवण (22), मूल (19), तथा सभी अचल नक्षत्र अर्थात् रोहिणी (4), उत्तराफाल्गुनी (12), उत्तराषाढा (21), उत्तर भाद्रपद (26) को सीमन्त संस्कार के लिये श्रेष्ठ माना जाता है।

    तिथि: शुक्ल और कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा (1), द्वितीया (2), तृतीया (3), पञ्चमी (5), सप्तमी (7), दशमी (10), एकादशी (11), त्रयोदशी (13) तिथियों को सीमन्त संस्कार के लिये श्रेष्ठ माना जाता है।

    दिन: सीमन्त संस्कार के लिये पुरुष सप्तवार अर्थात् रविवार, मंगलवार और गुरुवार को उत्तम माना जाता है।

    लग्न: पुरुष राशि के लग्न अर्थात् मेष (1), मिथुन (3), सिंह (5), तुला (7), धनु (9) और कुम्भ (11) लग्नों सीमन्त संस्कार के लिये उत्तम माना जाता है।

    कुण्डली: केन्द्र और त्रिकोण अर्थात् 1/4/7/10/5/9 भावों में सौम्य ग्रह तथा 3/6/11 भावों में दुष्ट ग्रह की स्थिति सीमन्त संस्कार के लिये श्रेष्ठ मानी जाती है।

    चन्द्र और तारा शुद्धि: सीमन्त संस्कार के समय गर्भवती महिला के लिये उचित चन्द्र एवं तारा शुद्धि होनी चाहिये।

    यह भी ध्यान रखना चाहिये कि पुंसवन संस्कार गर्भावस्था के तृतीय माह के दौरान किया जाता है, सीमान्त संस्कार अर्थात् गोद भराई गर्भावस्था के षष्ठम अथवा अष्टम माह में और विष्णु पूजा गर्भावस्था के अष्टम माह के दौरान किये जाते हैं।

    Kalash
    कॉपीराइट नोटिस
    PanditJi Logo
    सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
    Ⓒ www.drikpanchang.com
    प्राइवेसी पॉलिसी
    द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
    Android Play StoreIOS App Store
    Drikpanchang Donation