☰
Search
Mic
हि
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

सितम्बर 09, 2025 कर्णवेध मुहूर्त Fairfield, Connecticut, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak
जन्म विवरण
CompressX
Boyनाम?
लिङ्ग
पुरुषमहिला
?

Dateजन्म दिनाँक?
Timeस्थानीय जन्म समय?

Locationजन्म स्थान?
जन्म का राज्य?
जन्म का देश?
उन्नत विकल्प / स्थान तय करें।Expand Icon

उन्नतांश?
अक्षांश?
रेखांश?

ओल्सन समय क्षेत्र डी.एस.टी. नियम के लिये?
समय क्षेत्र अन्तराल?

अयनांश?

सितम्बर 9, 2025, मंगलवार

कर्णवेध मुहूर्त

Karnavedha

कर्णवेध, कर्ण छेदन का एक हिन्दु संस्कार है। कर्णवेध के अन्तर्गत शुभ मुहूर्त में अनुष्ठानपूर्वक शिशु के कान छिदवाये जाते हैं। कर्णवेध से न केवल कर्ण आभूषण पहनने में सरलता होती है, अपितु यह संस्कार आमाशय सम्बन्धी रोगों तथा युवकों में अण्डकोष की सूजन की समस्या से भी शिशु की रक्षा करता है। कर्णवेध संस्कार को कर्णछेदन संस्कार भी कहते हैं।

Profile Picture
+नया जोड़े
Openखोलें
Editसम्पादित करें
Xबन्द करें
Chart
उत्तरदक्षिणपूर्व
कर्णवेध - आज के दिन कोई मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

    टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
    आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

    सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -

    • Auspicious Muhurat
      शुभ - कार्य करने के लिये बहुत अच्छा।
    • अशुभ - कार्य करना अच्छा नहीं।
    • Mixed Muhurat
      मिश्रित - अच्छे अन्तराल उपलब्ध लेकिन कुछ दोष होने के कारण इसे अति आवश्यक होने पर ही सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिये।

    कर्णवेध जन्म के 10वें, 12वें अथवा 16वें दिन किया जाना चाहिये। यदि यह प्रक्रिया अरम्भिक दिनों में न हो सके तो इसे 6वें, 7वें अथवा 8वें माह में किया जाना चाहिये। यदि एक वर्ष व्यतीत हो गया है, तो इसके उपरान्त कर्णवेध संस्कार, शिशु के जन्म से 3वें वर्ष, 5वें वर्ष आदि विषम वर्षों में किया जाना चाहिये। आधुनिक समय में, कर्णवेध सामान्यतः मुण्डन संस्कार अथवा उपनयन संस्कार के समय किया जाता है।

    कर्णभेद के लिये उपयुक्त मुहूर्त का चयन करते समय निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है।

    सौर मास: जिस समय सूर्य धनु एवं मीन राशि से गोचर करता है अर्थात, खर मास के अतिरिक्त सभी सौर मास, कर्ण वेध हेतु उत्तम माने जाते हैं।

    चन्द्र मास: चतुर्मास, अर्थात हरि शयन की अवधि को छोड़कर, सभी चन्द्र मास, कर्ण वेध संस्कार के लिये उत्तम माने जाते हैं।

    नक्षत्र: सभी सौम्य अथवा मित्र नक्षत्र अर्थात मृगशिरा (5), चित्रा (14), अनुराधा (17), रेवती (27), सभी लघु नक्षत्र अर्थात अश्विनी (1), पुष्य (8), हस्त (13), तथा चर नक्षत्र अर्थात पुनर्वसु (7), श्रवण (22), धनिष्ठा (23) कर्ण वेध के लिये शुभ माने जाते हैं। अभिजित नक्षत्र भी श्रेष्ठ माना जाता है।

    तिथि: रिक्ता तिथि, अर्थात शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों की चतुर्थी (4), नवमी (9) तथा चतुर्दशी (14) तथा अमावस्या तिथि के अतिरिक्त अन्य सभी तिथियाँ, कर्ण वेध हेतु उत्तम मानी जाती हैं।

    दिन: सोमवार, बुधवार, गुरुवार तथा शुक्रवार कर्ण वेध के लिये उत्तम माने जाते हैं।

    लग्न: कर्ण वेध के लिये लग्न राशि का स्वामी बृहस्पति अथवा शुक्र होना चाहिये। अन्य शब्दों में, कर्ण वेध संस्कार के लिये वृषभ (2), तुला (7), धनु (9) तथा मीन (12) लग्न को अनुकूल माना जाता है।

    कुण्डली: कर्ण वेध लग्न में केन्द्र, त्रिकोण, तीसरे (3) भाव तथा ग्यारहवें (11) भाव में सौम्य ग्रह होने चाहिये। जबकि अनिष्टकारी ग्रह तीसरे (3) भाव, छठे (6) भाव एवं ग्यारहवें (11) भाव में होने चाहिये। आठवाँ (8) भाव रिक्त होना चाहिये। लग्न में बृहस्पति का होना अति उत्तम माना जाता है।

    चन्द्र एवं तारा शुद्धि: शिशु के लिये उचित चन्द्र एवं तारा शुद्धि की जानी चाहिये।

    निषिद्ध: कर्ण वेध के लिये उचित समय का चयन करते समय जन्म मास, अर्थात जन्म का माह तथा जन्म नक्षत्र को भी त्याग देना चाहिये। कर्ण वेध संस्कार अपराह्न से पूर्व किया जाना चाहिये, अन्य शब्दों में, इसे दिन के समय में दोपहर से पूर्व ही किया जाना चाहिये।

    बालक शिशु का कर्ण वेध करते समय पहले दाहिने कर्ण, तत्पश्चात् बाँयें कर्ण का वेधन करना चाहिये। बालिका शिशु के लिये पहले बाँयें कर्ण, तत्पश्चात् दाहिने कर्ण का वेधन करना चाहिये।

    Kalash
    कॉपीराइट नोटिस
    PanditJi Logo
    सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
    Ⓒ www.drikpanchang.com
    प्राइवेसी पॉलिसी
    द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
    Android Play StoreIOS App Store
    Drikpanchang Donation