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कुआँ पूजन | जल पूजा का दिन और समय Tarawa, Gilbert Islands, Kiribati के लिये

DeepakDeepak
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पुरुषमहिला
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फरवरी 17, 2025, सोमवार

कुआँ पूजन मुहूर्त

Kuan Pujan

कुआँ पूजा को मुहूर्त सम्बन्धित ग्रन्थों एवं साहित्यों में जल पूजा के रूप में वर्णित किया गया है। जल पृथ्वी पर जीवन प्रदान करता है। जल सृष्टि के आरम्भ में ही अस्तित्व में आया तथा सृष्टि की दिव्य शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

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Chart
उत्तरदक्षिणपूर्व
  • 08:45 ए एम
    Auspicious Muhurat
    प्रारम्भ:
    08:45 ए एम, फरवरी 17
    समाप्त:
    09:41 ए एम, फरवरी 17
    00 घण्टे 56 मिनट्स
    👍
    हस्त
    Hasta
    , मीन लग्न, कृष्ण पञ्चमी
  • 09:41 ए एम
    Auspicious Muhurat
    प्रारम्भ:
    09:41 ए एम, फरवरी 17
    समाप्त:
    11:01 ए एम, फरवरी 17
    01 घण्टा 20 मिनट्स
    👍
    हस्त
    Hasta
    , मेष लग्न, मीन लग्न, कृष्ण पञ्चमी
  • 11:01 ए एम
  • 12:18 पी एम
    Mixed Muhurat
    प्रारम्भ:
    12:18 पी एम, फरवरी 17
    समाप्त:
    01:06 पी एम, फरवरी 17
    00 घण्टे 48 मिनट्स
    👍
    वृषभ लग्न, कृष्ण पञ्चमी, अभिजित होरा
    👎
    चित्रा
    Chitra
  • 01:06 पी एम
  • 03:43 ए एम
    Mixed Muhurat
    प्रारम्भ:
    03:43 ए एम, फरवरी 18
    समाप्त:
    05:04 ए एम, फरवरी 18
    01 घण्टा 22 मिनट्स
    👍
    धनु लग्न, मकर लग्न, कृष्ण पञ्चमी, हस्त होरा, श्रवण होरा
    👎
    चित्रा
    Chitra
  • 05:04 ए एम

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Tarawa, Kiribati के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -

  • Auspicious Muhurat
    शुभ - कार्य करने के लिये बहुत अच्छा।
  • अशुभ - कार्य करना अच्छा नहीं।
  • Mixed Muhurat
    मिश्रित - अच्छे अन्तराल उपलब्ध लेकिन कुछ दोष होने के कारण इसे अति आवश्यक होने पर ही सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिये।

जल पूजा, नवजात शिशु तथा माँ दोनों के स्वास्थ्य के लिये एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। परम्परागत रूप से कुआँ नगरों के साथ ही ग्रामों में भी पेयजल का प्राथमिक स्रोत था। इसीलिये, जल पूजा को लोकप्रिय रूप से कुआँ पूजा के रूप में जाना जाता है। वास्तविकता में, कुआँ पूजा में किये जाने वाले अनुष्ठान सम्पन्न करने के लिये नदी, पानी की टन्कियों, नल तथा एक विशाल घड़े का प्रयोग भी किया जा सकता है।

निम्नलिखित मुहूर्त एवं स्थितियाँ उपलब्ध होने पर कुआँ पूजन करना चाहिये -

चन्द्र मास: चैत्र तथा पौष चन्द्र माह के अतिरिक्त सभी चन्द्र माह, कुआँ पूजा अनुष्ठानों के लिये उत्तम माने जाते हैं।

नक्षत्र: कुआँ पूजा संस्कार के लिये मृगशिरा (5), पुनर्वसु (7), पुष्य (8), हस्त (13), अनुराधा (17), मूल (19) तथा श्रवण (22) नक्षत्र उत्तम माने जाते हैं।

तिथि: रिक्ता तिथि, अर्थात शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (4), नवमी (9) तथा चतुर्दशी (14) के अतिरिक्त सभी तिथियाँ, कुआँ पूजा के लिये उत्तम मानी जाती हैं।

दिन: सोमवार, बुधवार तथा गुरुवार का दिन कुआँ पूजा के लिये उत्तम माना जाता है।

निषिद्ध: बृहस्पति तथा शुक्र के अस्त काल की समयावधि में कुआँ पूजा नहीं करनी चाहिये। कुआँ पूजा अथवा जल पूजा के लिये अधिक चन्द्र माह और क्षय चन्द्र माह को भी वर्जित माना जाता है।

Kalash
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