प्रसूति स्नान, शिशु के जन्म के पश्चात् किया जाने वाला एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह सूतक समाप्त होने के पश्चात नामकरण तथा षष्ठी पूजा के पूर्ण होने के उपरान्त किया जाता है। यह सूतक के पश्चात् पहला स्नान है, जिसे सामान्यतः नहान के रूप में जाना जाता है तथा अधिकांशतः शिशु जन्म के एक सप्ताह पश्चात् किया जाता है।
टिप्पणी: सभी समय २४:००+ प्रारूप में सान दिएगो, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय २४:०० से अधिक हैं और आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -
निम्नलिखित मुहूर्त संयोग एवं स्थितियाँ प्रबल होने पर प्रसूता स्नान करना चाहिये -
नक्षत्र: प्रसूता स्नान के लिये सभी स्थिर नक्षत्र, अर्थात रोहिणी (4), उत्तराफाल्गुनी (12), उत्तराषाढा (21), उत्तर भाद्रपद (26) तथा स्वाती (15), मृगशिरा (5) , अनुराधा (17), रेवती (27), अश्विनी (1), हस्त (13) शुभ माने जाते हैं।
तिथि: प्रसूता स्नान हेतु रिक्ता तिथि अर्थात शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (4), नवमी (9), चतुर्दशी (14) एवं षष्ठी (6), अष्टमी (8), द्वादशी (12) को त्याज्य माना जाता है। उक्त तिथियों को त्याग कर शेष तिथियाँ, प्रसूता स्नान के लिये शुभ मानी जाती हैं।
दिन: प्रसूता स्नान के लिये रविवार, मंगलवार तथा गुरुवार के दिन उत्तम माने जाते हैं।
लग्न: वृषभ (2), मिथुन (3), कर्क (4), कन्या (6), तुला (7), धनु (9) तथा मीन (12) प्रसूता स्नान के लिये उत्तम माने जाते हैं।