सीमन्त विष्णु पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो गर्भ में पल रहे बच्चे की सुरक्षा के लिये किया जाता है। यह अनुष्ठान गर्भावस्था के 8वें माह में किया जाता है।
टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -
पञ्चाङ्ग में निम्नलिखित संयोग एवं स्थितियों का निर्माण होने पर सीमन्त विष्णु पूजा करनी चाहिये -
नक्षत्र: श्री विष्णु पूजा के लिये, रोहिणी (4), पुष्य (8) तथा श्रवण (22) नक्षत्र उत्तम माने जाते हैं।
तिथि: सीमन्त संस्कार हेतु विष्णु पूजा करने के लिये शुक्ल पक्ष की, सप्तमी (7) एवं द्वादशी (12) अति उत्तम मानी जाती हैं। हालाँकि, इन तिथियों के समय अनुकल नक्षत्र मिलने में कठिनाई हो सकती है। इसीलिये, तिथि की तुलना में नक्षत्र को अधिक महत्व दिया जाता है।
दिन: रविवार, मंगलवार एवं शनिवार के अतिरिक्त, सप्ताह के सभी दिन विष्णु पूजा के लिये उपयुक्त माने जाते हैं। हालाँकि, सप्ताह के इन दिनों में अनुकूल नक्षत्र का मिलना कठिन हो सकता है। इसीलिये, सप्ताह के दिनों की तुलना में नक्षत्र को अधिक महत्व दिया जाता है।
लग्न: सभी शुभ लग्न, अर्थात वृषभ (2), मिथुन (3), कर्क (4), कन्या (6), तुला (7), धनु (9) एवं मीन (12) सीमन्त संस्कार के समय विष्णु पूजा के लिये उत्तम माने जाते हैं।
कुण्डली: विष्णु पूजा के समय, 8वाँ स्थान रिक्त होना चाहिये, अर्थात आठवें घर में कोई भी ग्रह नहीं होना चाहिये तथा लग्न में एक सौम्य ग्रह स्थित होना चाहिये।