सूर्योदय06:10
सूर्यास्त20:02
चन्द्रोदय09:01
शक सम्वत1947 विश्वावसु
चन्द्र महीनावैशाख
वारगुरुवार
पक्षशुक्ल पक्ष
तिथिपञ्चमी - 23:44 तक
योगसुकर्मा - 20:09 तक
करणबव - 12:43 तक
द्वितीय करणबालव - 23:44 तक
राहुकाल14:50 से 16:34
गुलिक काल09:38 से 11:22
यमगण्ड06:10 से 07:54
अभिजित मुहूर्त12:38 से 13:34
दुर्मुहूर्त10:48 से 11:43
दुर्मुहूर्त16:20 से 17:15
अमृत काल18:06 से 19:37
वर्ज्य12:48 से 14:19
आनन्दादि योगकाण - 27:34+ तक
तमिल योगमरण - 27:34+ तक
आनन्दादि योगसिद्धि
तमिल योगअमृत
टिप्पणी: सभी समय २४:००+ प्रारूप में McLean, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय २४:०० से अधिक हैं और आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
तमिल पञ्चाङ्गम् का उपयोग तमिल नाडु, पुडुचेरी, श्रीलंका, मलेशिया तथा विश्व भर में रहने वाले तमिल लोगों द्वारा किया जाता है। तमिल संस्कृति में तमिल पञ्चाङ्गम् को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पञ्चाङ्ग तमिल हिन्दुओं की आस्था से भी सम्बन्धित है। तमिल पञ्चाङ्गम् में तिथि, नक्षत्रम्, योग, कर्ण, राहु कालम्, गुलिकई कालम् आदि जैसे महत्वपूर्ण खगोलीय तत्वों को दर्शाया जाता है।
राहु कालम्, यमगण्डम्, गुलिकई, दुर्मुहूर्तम् तथा वर्ज्यम् आदि अशुभ समय अवधि को टाल देना चाहिये। इनके अतिरिक्त शेष समय को शुभ माना जाता है।
अभिजित मुहूर्तम् एवं अमृत कालम् को अत्यन्त शुभ माना जाता है। यदि अशुभ मुहूर्त एवं शुभ मुहूर्त का सायोंग एक साथ हो जाये तो अशुभ मुहूर्त को शुभ मुहूर्त से हटा देना चाहिये।