पुनर्वसु नक्षत्र - पुनर्वसु वैदिक ज्योतिष में सातवाँ नक्षत्र है, जिसका विस्तार 20° मिथुन से 3°20' कर्क तक है।
प्रतीक चिह्न - इस नक्षत्र का प्रतीक धनुष एवं तरकशहै।
खगोलीय नाम - इस नक्षत्र के खगोलीय नाम कैस्टर (Castor) और पोलक्स (Pollux) हैं, जो मिथुन तारामण्डल के दो सर्वाधिक चमकीले तारे हैं।
नक्षत्र के देवता - देवताओं की माता अदिति ही पुनर्वसु नक्षत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं।
शासक ग्रह - पुनर्वसु नक्षत्र पर गुरु (बृहस्पति ग्रह) का शासन होता है।
अन्य - पुनर्वसु शब्द पुनः से लिया गया है जिसका अर्थ है 'पुनरागमन', 'दोहराना' अथवा 'पुनरावृत्ति' तथा वसु का अर्थ 'प्रकाश की किरण' एवं 'रत्न' है। भगवान राम का जन्म, पुनर्वसु नक्षत्र में ही हुआ था। इस नक्षत्र की अधिष्ठात्री देवी अदिति, बारह आदित्यों की माता थीं, जिनके नाम इन्द्र, विष्णु, भग, त्वष्टा, वरुण, अर्यमा, पूषा, मित्र, अग्नि, पर्जन्य, विवस्वान और दिनकर थे। मलयालम में पुनर्वसु को पुर्नार्थम कहा जाता है। दक्षिण भारत के अनेक भागों में इसे पुनर्पूसम के नाम से भी जाना जाता है।
नक्षत्र अस्त उदय - पुनर्वसु प्रति वर्ष लगभग 18 दिनों की अवधि के लिये अस्त हो जाता है। पुनर्वसु नक्षत्र के अस्त एवं उदय होने का समय ज्ञात करने हेतु सम्बन्धित पृष्ठ देखें - पुनर्वसु अस्त उदय।
नक्षत्र गोचर - पुनर्वसु को अधिकांश शुभ कार्यों हेतु उत्तम माना जाता है। वर्ष पर्यन्त, चन्द्रमा किस समय पुनर्वसु नक्षत्र में गोचर कर रहा है, यह ज्ञात करने हेतु उक्त पृष्ठ का अवलोकन करें - पुनर्वसु नक्षत्र के सभी दिनों की सूचि।