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-2026 यजुर्वेद उपाकर्म | अवनी अवित्तम का दिन Piggs Peak, Hhohho, Swaziland के लिये

DeepakDeepak

-2026 यजुर्वेद उपाकर्म

Piggs Peak, Swaziland
यजुर्वेद उपाकर्म
7वाँ
जून -2026
Thursday / गुरुवार
उपाकर्म संस्कार
Upakarma

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में Piggs Peak, Swaziland के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

यजुर्वेद उपाकर्म -2026

उपाकर्म का शाब्दिक अर्थ आरम्भ अथवा आरम्भम् होता है, इस पावन पर्व पर वेद अध्ययन अनुष्ठान आरम्भ किया जाता है। उपाकर्म दिवस पर वेद अध्ययन के अतिरिक्त, ब्राह्मणों द्वारा श्रौत अनुष्ठान के अन्तर्गत अपना उपनयन सूत्र अथवा यज्ञोपवीत भी परिवर्तित किया जाता है। उपाकर्म एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसका पालन वर्तमान में भी ब्राह्मण समुदाय के हिन्दुओं द्वारा किया जाता है।

यजुर्वेद का अनुसरण करने वाले व्यक्ति श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि के अवसर पर उपाकर्म करते हैं। ऋग्वेद का अनुसरण करने वाले श्रावण माह में श्रवण नक्षत्र होने पर उपाकर्म अनुष्ठान करते है। अतः यजुर्वेद तथा ऋग्वेद का अनुसरण करने वालों के लिये उपाकर्म दिवस भिन्न-भिन्न हो सकता है।

तमिल नाडु में उपाकर्म को अवनी अवित्तम के रूप में जाना जाता है। किसी साधक के प्रथम उपाकर्म अनुष्ठान को थलै अवनी अवित्तम के नाम से जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश में श्रावण पूर्णिमा के उपाकर्म को जन्ध्याला पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है।

श्रावण पूर्णिमा के दिन हयग्रीव जयन्ती का पावन पर्व भी होता है, यही कारण है कि, ब्राह्मणों द्वारा इस दिन को वेद अध्ययन आरम्भ करने के लिये चुना जाता है। हयग्रीव जयन्ती, भगवान हयग्रीव का जन्मदिवस है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दैत्य द्वारा ब्रह्मा जी के वेदों का हरण कर लिया गया था, जिसके पश्चात् भगवान हयग्रीव ने उस दैत्य का संहार कर, ब्रह्मा जी को पुनः वेद प्रदान किये थे।

उपाकर्म दिवस का मुख्य उद्देश्य उन महान ऋषियों के प्रति आभार प्रकट करना है, जिनके द्वारा हमें वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ तथा जिन्होंने मनुष्यों के समक्ष वैदिक मन्त्रों को प्रदर्शित किया। उपाकर्म के अगले दिन को गायत्री जापम दिवस के रूप में जाना जाता है।

सामवेद का अनुसरण करने वाले, भाद्रपद माह में हस्त नक्षत्र के समय उपाकर्म अनुष्ठान करते हैं। सामान्यतः यजुर्वेद एवं ऋग्वेद उपाकर्म के पन्द्रह दिन पश्चात् सामवेद उपाकर्म दिवस आता है।

Kalash
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