देवी-देवताओं के 108 पवित्र नामों के संग्रह को अष्टोत्तर शतनामावली के रूप में जाना जाता है। देवी-देवताओं को प्रसन्न करने एवं उनकी कृपादृष्टि प्राप्त करने हेतु अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ किया जाता है। ये नाम अत्यन्त मङ्गलकारी होते हैं।
हिन्दु धर्म में भगवान गणेश, भगवान राम, भगवान शिव, देवी लक्ष्मी, देवी काली सहित विभिन्न देवी-देवताओं की सहस्रनामावलियों का पाठ किया जाता है। किसी भी देवी-देवता के 1000 नामों के संग्रह को सहस्रनामावली कहा जाता है।
देवी-देवताओं के विभिन्न शुभ एवं पवित्र नामों के संग्रह को नामावली कहा जाता है। प्रस्तुत लेख में हिन्दु देवी-देवताओं के 32 नाम, 108 नाम तथा 1000 नामों के संग्रह को भी सूचीबद्ध किया गया है। पाठकों की सुविधा हेतु नामों के साथ उनके अर्थ एवं वीडियो भी उपलब्ध हैं।
प्रस्तुत लेख में विभिन्न हिन्दु देवी-देवताओं की आरतियों का विस्तृत संग्रह प्रदान किया गया है। हिन्दु पूजा पद्धति में आरती का विशेष महत्व होता है। किसी भी प्रकार की पूजा एवं धार्मिक अनुष्ठान के अन्त में सम्बन्धित देवी-देवता की आरती अवश्य की जाती है।
हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, कृष्ण चालीसा तथा राधा चालीसा सहित विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित चालीसाओं का विस्तृत संग्रह प्रस्तुत किया गया है। चालीस चौपाइयों से युक्त स्तुति अथवा प्रार्थना को चालीसा कहा जाता है।
देवी-देवताओं को प्रसन्न करने व उनकी कृपा प्राप्त करने के लिये उनकी स्तुति, स्तोत्र के रूप में की जाती है। इस पृष्ठ में आप विभिन्न देवी-देवताओं के स्तोत्र पढ़ सकते हैं जिनका संकलन पवित्र ग्रन्थों और पुराणों से किया गया है।
हिन्दु धर्म में आठ छन्दों अथवा श्लोकों से युक्त स्तुति को अष्टकम् कहा जाता है। अष्टकम् के माध्यम से देवी-देवताओं की स्तुति एवं प्रार्थना की जाती है। अष्टकम् अत्यन्त प्रभावशाली होते हैं तथा इनका विधिवत पाठ करने से इच्छित परिणाम प्राप्त होते हैं।
द्रिक पञ्चाङ्ग के उपयोकर्ताओं के लिये विभिन्न हिन्दु देवी-देवताओं के विशेष मन्त्रों का संग्रह प्रदान किया गया है। मन्त्र का शाब्दिक अर्थ ध्वनि होता है। मन्त्रों की शक्ति के माध्यम से विभिन्न देवी-देवताओं का ध्यान, आह्वान एवं पूजन किया जा सकता है।
प्रस्तुत लेख में महाराष्ट्र में प्रचलित विभिन्न देवी-देवताओं की आरतियों को मराठी बोल एवं वीडियो सहित सूचिबद्ध किया गया है। प्रस्तुत मराठी आरती संग्रह में उपलब्ध इन आरतियों का गायन दैनिक पूजन तथा विशेष उत्सवों के अवसर पर किया जाता है।