सूतक एक निश्चित समयावधि है जो सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण से कुछ समय पूर्व आरम्भ होती है तथा ग्रहण के साथ समाप्त होती है। इस अवधि के दौरान विभिन्न सामान्य गतिविधियाँ जैसे अध्ययन, भोजन, शयन, मनोरञ्जन आदि वर्जित होती हैं तथा अधिकांश मन्दिरों के पट बन्द रहते हैं। इस दौरान गर्भवती स्त्रियों को अधिक सावधान रहना चाहिये।
जिस समय पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है, तो इसे चन्द्र ग्रहण कहते हैं। चन्द्र ग्रहण सदैव पूर्णिमा के दिन होता है। हिन्दु धर्म में चन्द्र ग्रहण को एक धार्मिक घटना माना जाता है। हिन्दु धर्म के अनुयायी इस घटना के समय विशेष सावधानी का पालन करते हैं तथा वैदिक अनुष्ठान आदि कर्म करते हैं।
सूर्य ग्रहण होने पर दीवाली पूजा कैसे करें? दीवाली सूर्य ग्रहण एक ऐसा संयोग है, जो कभी भी घटित हो सकता है। क्योंकि दीवाली भी अमावस्या तिथि पर मनायी जाती है तथा सूर्य ग्रहण भी सदैव अमावस्या तिथि पर ही होता है।
सामान्यतः अधिकांश देशों में चार मुख्य ऋतुयें होती हैं, किन्तु भारत में छह ऋतुयें होती हैं, वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त तथा शिशिर। हिन्दु धर्म में इन ऋतुओं का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व होता है। भारत में ऋतुओं को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है तथा अनेक त्यौहार भारतीय ऋतुओं से सम्बन्धित होते हैं।
सम्पात अथवा विषुव प्रति वर्ष में दो बार घटित होने वाली एक खगोलीय घटना है, जो एक बार वसन्त ऋतु में तथा दूसरी बार शरद ऋतु में घटित होती है। विषुव के समय, दिन और रात की अवधि लगभग समान होती है। उत्तरी गोलार्ध में, वसन्त सम्पात मार्च माह में होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में यह सितम्बर माह में होता है।
अयनकाल एक प्रत्येक वर्ष में दो बार घटित होने वाली खगोलीय घटना है। ग्रीष्म ऋतु में अयनकाल, वर्ष का सर्वाधिक लम्बा दिन होता है। अयनकाल के समय सूर्य आकाश में अपनी सर्वोच्च अवस्था में स्थित होता है। उत्तरी गोलार्ध में, ग्रीष्म अयनकाल जून माह में होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में, ग्रीष्म अयनकाल दिसम्बर माह में होता है।
सम्पात अथवा विषुव प्रति वर्ष में दो बार घटित होने वाली एक खगोलीय घटना है, जो एक बार वसन्त ऋतु में तथा दूसरी बार शरद ऋतु में घटित होती है। विषुव के समय, दिन एवं रात्रि की समयावधि लगभग समान होती है। उत्तरी गोलार्ध में, शरद्कालीन सम्पात सितम्बर के माह में होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में यह मार्च के माह में होता है।
अयनकाल एक प्रत्येक वर्ष में दो बार घटित होने वाली खगोलीय घटना है। अयनकाल के समय सूर्य आकाश में अपनी सर्वाधिक निचली अवस्था में स्थित होता है। उत्तरी गोलार्ध में, शीत अयनकाल दिसम्बर माह में होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में, शीत अयनकाल जून माह में होता है।
हिन्दु धर्म में, सूर्य ग्रहण एक धार्मिक घटनाक्रम है। मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य देव राहु के अशुभ प्रभाव में आते हैं। इसीलिये, ग्रहण से ग्रसित सूर्य के दर्शन तथा उसके प्रभाव में आने से बचना चाहिये। किसी भी अशुभ प्रभाव से बचने के लिये जप, तप तथा होम आदि गतिविधियाँ की जाती हैं। इस पृष्ठ पर सूतक काल सहित सूर्य ग्रहण का स्थानीय समय दिया गया है।
हिन्दु धर्म में चन्द्र ग्रहण एक धार्मिक घटनाक्रम है। ग्रहण के समय अध्ययन, भोजन, शयन, मनोरञ्जन तथा चन्द्र दर्शन आदि अधिकांश गतिविधियाँ निषिद्ध हैं। यह निषेधकाल ग्रहण के क्षण से बहुत समय पूर्व ही प्रारम्भ हो जाता है। इस लेख में शहर आधारित ग्रहण का समय एवं निषेधकाल दिया गया है। बालकों, रोगियों तथा वृद्ध जनों के लिये लघु निषेधकाल भी उपलब्ध है।
किसानी के त्यौहार जिन्हें कृषि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, हिन्दु कैलेण्डर के महत्वपूर्ण पर्व है। किसी निश्चित क्षेत्र में मुख्य फसल की कटाई के समय कृषि उत्सव मनाया जाता है। इन उत्सवों में सामूहिक भोजन, लोकनृत्य आदि आयोजित किये जाते हैं। मकर संक्रान्ति, होली, वैसाखी एवं ओणम आदि कुछ प्रमुख कृषि उत्सव हैं।