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भगवान गणेश की एक विंशति नाम पूजा | भगवान गणेश की 21 पत्र पूजा

DeepakDeepak

गणेश 21 नाम पूजा

भगवान गणेश एक विंशति नाम पूजा

गणेश चतुर्थी पूजा के समय, भगवान गणेश की पूजा इक्कीस पवित्र पत्र या पत्तियों से की जाती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश के प्रिय पत्तों द्वारा उनकी पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। भगवान गणेश प्रसन्न होकर अपने भक्तों को शक्ति, दीर्घायु, बुद्धि, धन तथा समृद्धि प्रदान करते हैं। इसीलिये 21 पत्र पूजा गणेश पूजा का अभिन्न अङ्ग बन चुकी है।

ये सभी इक्कीस पत्ते भगवान गणेश के इक्कीस अद्वितीय नामों से सम्बन्धित हैं। प्रत्येक पत्ते को भगवान गणेश के एक अद्वितीय नाम मन्त्र का जाप करते हुये अर्पित किया जाता है। इसीलिये, इक्कीस पत्र पूजा को एक विंशति नाम पूजन के रूप में भी जाना जाता है। 21 गणेश पत्र सूचि में गणेश पूजा में प्रयुक्त होने वाले सभी इक्कीस पत्तों को उनके क्षेत्रीय एवं वनस्पति नामों के साथ सूचिबद्ध किया गया है।

ब्रह्मवैवर्तपुराण में गणेश पूजा के लिये तुलसी के पत्तों को वर्जित किया गया है। पुराण में प्राप्त वर्णन के अनुसार, भगवान गणेश को तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं करने चाहिये। परन्तु नारदपुराण के अनुसार, तुलसी के पत्ते भगवान गणेश के शूर्पकर्ण अवतार को अर्पित किये जा सकते हैं तथा व्रतराज के अनुसार तुलसी के पत्ते भगवान गणेश के गजवक्त्रम अवतार को अर्पित किये जा सकते हैं।

भगवान गणेश के 21 नामों की सूचि

  • ॐ सुमुखाय नमः कहकर शमी पत्र अर्पित करें।
    ॐ सुमुखाय नमः - शमी पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ गणाधीशाय नमः कहकर भंगौरिया (भृंगराज) पत्र अर्पित करें।
    ॐ गणाधीशाय नमः - भृंगराज पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ उमा पुत्राय नमः कहकर विल्व पत्र चढ़ावें।
    ॐ उमा पुत्राय नमः - विल्व पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ गजमुखाय नमः कहकर दुर्वादल चढ़ावें।
    ॐ गजमुखाय नमः - दुर्वा पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ लम्बोदराय नमः कहकर बेर का पत्र अर्पित करें।
    ॐ लम्बोदराय नमः - बद्री पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ हर सूनवे नमः कहकर धतूर पत्र अर्पित करें।
    ॐ हर सूनवे नमः - धतूर पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ शूर्पकर्णाय नमः कहकर तुलसी पत्र अर्पित करें।
    ॐ हर शूर्पकर्णाय नमः - तुलसी पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ वक्रतुण्डाय नमः कहकर सेम का पत्र चढ़ावें।
    ॐ वक्रतुण्डाय नमः - सेम पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ गुहाग्रजाय नमः कहकर अपामार्ग पत्र (चिरचिटाअजाझारा) चढ़ावें।
    ॐ गुहाग्रजाय नमः - अपामार्ग पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ एकदन्ताय नमः कहकर भटकटैया का पत्र चढ़ावें।
    ॐ एकदन्ताय नमः - भटकटैया पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ हेरम्बराय नमः कहकर सिन्दूर वृक्ष का पत्र या सिन्दूर चूर्ण अर्पित करें।
    ॐ हेरम्बराय नमः - सिन्दूर पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ चतुर्होत्रै नमः कहकर तेज पात अर्पण करें।
    ॐ चतुर्होत्रै नमः - तेज पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ सर्वेश्वराय नमः कहकर अगस्त (अगस्त्य) का पत्र अर्पित करें।
    ॐ सर्वेश्वराय नमः - अगस्त्य पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ विकटाय नमः कहकर कनेर का पत्र चढ़ावें।
    ॐ विकटाय नमः - कनेर पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ हेमतुण्डाय नमः कहकर कदली (केला) पत्र अर्पण करें।
    ॐ हेमतुण्डाय नमः - कदली पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ विनायकाय नमः कहकर अर्क पत्र अर्पित करें।
    ॐ विनायकाय नमः - अर्क पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ कपिलाय नमः कहकर अर्जुन पत्र चढ़ावें।
    ॐ कपिलाय नमः - अर्जुन पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ वटवे नमः कहकर देवदारू का पत्र चढ़ावें।
    ॐ वटवे नमः - देवदारू पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ भाल चन्द्राय नमः कहकर मरुआ का पत्र अर्पित करें।
    ॐ चन्द्राय नमः - मरुआ पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ सुराग्रजाय नमः कहकर गान्धरी (गण्डारि) वृक्ष का पत्र चढ़ावें।
    ॐ सुराग्रजाय नमः - गान्धरी पत्रम् समर्पयामि

  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः कहकर केतकी का पत्र प्रीतिपूर्वक चढ़ावें।
    ॐ सिद्धि विनायकाय नमः - केतकी पत्रम् समर्पयामि
Kalash
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द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
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