टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Takamaka, सेशेल्स के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
बासोड़ा पूजा, देवी शीतला को समर्पित पूजा है, जो होली के उपरान्त कृष्ण पक्ष अष्टमी पर की जाती है। बासोड़ा को शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। सामान्यतः यह पर्व होली के आठ दिन पश्चात् आता है, किन्तु अनेक लोग इसे होली के पश्चात् आने वाले प्रथम सोमवार अथवा शुक्रवार को मनाते हैं। शीतला अष्टमी उत्तर भारतीय राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में अधिक लोकप्रिय है।
बासोड़ा पर्व की परम्परा के अनुसार, इस दिन घरों में भोजन पकाने हेतु अग्नि नहीं जलायी जाती है। इसीलिये अधिकांश परिवार एक दिन पूर्व भोजन बनाते हैं तथा शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन का सेवन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि, देवी शीतला चेचक, खसरा आदि रोगों को नियन्त्रित करती हैं तथा लोग इन रोगों के प्रकोप से सुरक्षा हेतु उनकी पूजा-आराधना करते हैं।
गुजरात में, बासोड़ा के समान ही एक पर्व कृष्ण जन्माष्टमी से ठीक एक दिन पूर्व मनाया जाता है तथा इसे शीतला सातम के नाम से जाना जाता है। शीतला सातम भी देवी शीतला को समर्पित है एवं शीतला सातम के दिन भी किसी प्रकार का ताजा भोजन नहीं पकाया जाता है।