टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Hunsur, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
श्री रामानुजाचार्य (1017-1137 C.E.) भारतीय धर्मशास्त्री, दार्शनिक और हिन्दु धर्म के अन्तर्गत श्री वैष्णववाद परम्परा के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिपादकों में से एक थे।
उनके माता-पिता, असुरी केशव और कान्तिमती, दोनों कुलीन परिवारों से थे। उनका जन्म 11वीं शताब्दी में तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर गाँव में 1017 CE में हुआ था। श्री रामानुज के जन्म का नाम लक्ष्मण था और उन्हें इलैया पेरुमल भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है उज्ज्वल। 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह रक्षकम्बल से हुआ था।
रामानुज का दार्शनिक आधार योग्य अद्वैतवाद था और इसे हिन्दु परम्परा में विशिष्टद्वैत कहा जाता है।
रामानुज के कुछ साहित्यिक योगदानों में वेदार्थ-संघ, श्री भाष्य, गीता-भाष्य, वेदान्त-दीप, वेदान्त-सारा, शरणागति-गद्य और श्री रंग-गद्य, श्री वैकुण्ठ-गद्य, नित्य-ग्रन्थ हैं।