सूर्योदय06:41 ए एम
सूर्यास्त07:55 पी एम
चन्द्रोदय11:01 ए एम
चन्द्रास्त01:30 ए एम, मई 03
शक सम्वत1947 विश्वावसु
विक्रम सम्वत2082 कालयुक्त
गुजराती सम्वत2081 नल
अमान्त महीनावैशाख
पूर्णिमान्त महीनावैशाख
वारशुक्रवार
पक्षशुक्ल पक्ष
तिथिषष्ठी - 10:21 पी एम तक
नक्षत्रपुनर्वसु - 03:04 ए एम, मई 03 तक
योगधृति - 05:50 पी एम तक
करणकौलव - 10:57 ए एम तक
द्वितीय करणतैतिल - 10:21 पी एम तक
प्रविष्टे/गते20
चन्द्र राशिमिथुन - 09:07 पी एम तक
राहुकाल11:39 ए एम से 01:18 पी एम
गुलिक काल08:21 ए एम से 10:00 ए एम
यमगण्ड04:37 पी एम से 06:16 पी एम
अभिजित मुहूर्त12:52 पी एम से 01:45 पी एम
दुर्मुहूर्त09:20 ए एम से 10:13 ए एम
दुर्मुहूर्त01:45 पी एम से 02:38 पी एम
अमृत काल12:43 ए एम, मई 03 से 02:17 ए एम, मई 03
वर्ज्य03:19 पी एम से 04:53 पी एम
टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Palm City, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
हिन्दु कैलेण्डर में दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होता है और अगले दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ समाप्त होता है। क्योंकि सूर्योदय का समय सभी शहरों के लिए अलग है, इसीलिए हिन्दु कैलेण्डर जो एक शहर के लिए बना है वो किसी अन्य शहर के लिए मान्य नहीं है। इसलिए स्थान आधारित हिन्दु कैलेण्डर, जैसे की द्रिकपञ्चाङ्ग डोट कॉम, का उपयोग महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, प्रत्येक हिन्दु दिन में पांच तत्व या अंग होते हैं। इन पांच अँगों का नाम निम्नलिखित है -
हिन्दु कैलेण्डर के सभी पांच तत्वों को साथ में पञ्चाङ्ग कहते हैं। (संस्कृत में: पञ्चाङ्ग = पंच (पांच) + अंग (हिस्सा)). इसलिए हिन्दु कैलेण्डर जो सभी पांच अँगों को दर्शाता है उसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। दक्षिण भारत में पञ्चाङ्ग को पञ्चाङ्गम कहते हैं।
जब हिन्दु कैलेण्डर में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन त्योहार और राष्ट्रीय छुट्टियां शामिल हों तो वह भारतीय कैलेण्डर के रूप में जाना जाता है।