हिन्दु धर्म में गणेश जी का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। गणेश जी को प्रथम-पूज्य कहा गया है, अतः किसी भी प्रकार के पूजन अथवा मांगलिक आयोजन से पूर्व श्री गणेश जी का आह्वान एवं पूजन सबसे पहले किया जाता है। गणेश जी को गणपति, गजानन, लम्बोदर तथा एकदन्त आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान् गणपति की कृपा से व्यक्ति भौतिक एवं आध्यात्मिक जीवन में आने वाली रुकावटों को सरलता से पार कर लेता है। उनकी विशिष्ट कृपा प्राप्त करने हेतु सामर्थ्यानुसार प्रतिदिन, प्रति सप्ताह अथवा प्रत्येक चतुर्थी के अवसर पर गणपती होम किया जा सकता है।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि अग्नि के माध्यम से आप अपनी सम्पूर्ण चेतना प्रजापति को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ प्रजापतये स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि अग्नि के माध्यम से आप अपनी प्रेरित दृष्टिकोण की क्षमता इन्द्र को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ इन्द्राय स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि अग्नि के माध्यम से आप अपनी तार्किक एवं सुव्यवस्थित वैचारिक क्षमता अग्निदेव को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ अग्नये स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि आप अपनी भावना एवं अन्तरज्ञान अग्नि के माध्यम से सोमदेव को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ सोमाय स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि आप अपनी शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक सत्ता को अग्नि के माध्यम से प्रजापति को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ भूर्भुवस्सुवःस्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में आठ बार घी डालें तथा यह कल्पना करें कि आप अपनी योजना बनाने तथा बाधाओं को पार करने की योग्यता अग्नि के माध्यम से गणेश जी को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ गं गणपतये नमः स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि आप अपनी दृण रहने एवं समस्याओं से निपटने की योग्यता अग्नि के माध्यम से वरुण देव को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ वं वरुणाय नमः स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये कल्पना करें कि भगवान् गणपति हवन की दिव्य अग्नि में प्रवेश करके आपकी आहुतियाँ स्वीकार कर रहे हैं।
अत्र आगच्छ। आवाहितो भव।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में पिसा हुआ चन्दन अर्पित करें।
ॐ लं पृथिव्यात्मने नमः।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये हवन में पुष्प अथवा सूखे हुये पुष्पों का चूर्ण अर्पित करें।
ॐ हं आकाशात्मने नमः।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये एक धूपबत्ती प्रज्वलित करके हवनकुण्ड के समीप रखें।
ॐ यं वाय्वात्मने नमः।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये हवन कुण्ड को दीपक दिखायें।
ॐ रं अग्न्यात्मने नमः।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये किसी फल का दुकड़ा, किशमिश अथवा बिना झूठा भोजन हवन में अर्पित करें।
ॐ वं जलात्मने नमः।
निम्नलिखित तीन मन्त्रों में से किसी एक का उच्चारण करते हुये यज्ञ की अग्नि में घी अर्पित करें तथा यह कल्पना करें कि भगवान् गणपति उसे स्वीकार कर रहे हैं।
ॐ गं गणपतये नमः स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
ॐ गणांना त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः शृण्वत्रूतिभिः सीद सादनम्॥ स्वाहा।
आप इस प्रक्रिया को जितनी बार चाहें कर सकते हैं। यदि आपको गणेश जी का कोई अन्य प्रिय मन्त्र ज्ञात हो तो आप उससे भी यह क्रिया कर सकते हैं।
शीघ्रता न करें और यह कल्पना करें कि देवता अग्नि में विराजमान हैं तथा आपके द्वारा दी गयी आहुतियों एवं मन्त्रों को स्वीकार कर रहे हैं। अग्नि से अपनी ओर आती उनकी कृपा व ऊर्जा का अनुभव करें।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि अग्नि के माध्यम से आप अपनी शारीरिक अनभूति अग्निदेव को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ भूः अग्नये स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि अग्नि के माध्यम से आप अपनी मानसिक अनभूति वायु देव को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ भुवः वायवे स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि अग्नि के माध्यम से आप अपनी आध्यात्मिक अनभूति सूर्य देव को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ सुवः सूर्याय स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि आपके भीतर जो भी शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक निर्माण हुआ है, हवन के माध्यम से प्रजापति को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ भूर्भुवस्सुवःस्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि आपके भीतर जो भी शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक अनभूति निरन्तर स्थिर है, हवन के माध्यम से भगवान् विष्णु को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ विष्णवे स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में एक बूँद घी डालें तथा यह कल्पना करें कि आपके भीतर जो भी शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक अनभूति नष्ट हो रही है, हवन के माध्यम से भगवान् रूद्र को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ रुद्राय स्वाहा।
6 किशमिश, 6 फल अथवा 6 फल के टुकड़े लें तथा निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये देवता के उन पार्षदों को अर्पित करें जो अग्नि के माध्यम से आहुति स्वीकार नहीं करते अपितु गन्ध के रूप में भोजन करते हैं। पूजनोपरान्त आप इन टुकड़ों को झाड़ियों में अथवा पशु-पक्षियों को दे सकते हैं।
ॐ पार्ष्देभ्यो नमः।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये एक बड़ा सा गोला का टुकड़ा, बड़ी लकड़ी अथवा थोड़ी अधिक मात्रा में घी हवन में अर्पित करें तथा यह कल्पना करें कि आप अपने अस्तित्व की अनुभूति भगवान श्री गणेश जी को समर्पित कर रहे हैं।
ॐ गं गणपतये नमः स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये हवन में घी अर्पित करें तथा यह कल्पना करें कि सात जीव्हा वाली अग्नि प्रसन्न हुई।
ॐ अग्नवे सप्तवते स्वाहा।
निम्नलिखित मन्त्र अथवा किसी अन्य मन्त्र द्वारा यथाशक्ति ध्यान करें।
ॐ गं गणपतये नमः।
अन्त में निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये कल्पना करें कि आपको एवं अन्य सभी को शान्ति प्राप्त हो।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।