स्वर सिद्धान्त के आधार पर अपने शिशु का नामकरण करने से शिशु की वृद्धि एवं विकास में सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। शिशु का नामकरण करने की सर्वाधिक प्रचलित पद्धति के अनुसार, जन्म के समय चन्द्रमा की मूल स्थिति पर विचार किया जाता है। यह विधि व्याप्त नक्षत्र के चतुर्थांश पर आधारित है, अर्थात् इस विधि में जन्म के समय चन्द्रमा किस नक्षत्र के किस चरण में स्थित है, इस पर विचार किया जाता है।
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