devotionally made & hosted in India
Search
Mic
Android Play StoreIOS App Store
Ads Subscription Disabled
हि
Setting
Clock
Ads Subscription Disabledविज्ञापन हटायें
X

कुण्डली मिलान | राशि मिलान | गुण मिलान

DeepakDeepak

कुण्डली मिलान

कुण्डली मिलान के विषय में विवरण

अधिकांश हिन्दु परिवारों में, युवक एवं युवती के मध्य वैवाहिक सम्बन्ध को निर्धारित करने से पूर्व कुण्डली मिलान पर विचार अवश्य किया जाता है। कुण्डली मिलान एक प्राचीन परम्परा है, जो वर्तमान के आधुनिक भारत में भी जीवन्त है। ऐसे अनेक परिवार हैं, जो कुण्डली मिलान को अत्यधिक महत्व देते हैं। कुण्डली मिलान को राशि मिलान, पत्री मिलान तथा गुण मिलान के रूप में भी जाना जाता है।

अष्ट-कूट विधि, कुण्डली मिलान के समय उपयोग की जाने वाली व्यापक रूप से सर्वाधिक स्वीकृत विधि है। मिलान की अष्ट-कूट प्रणाली में, आठ भिन्न-भिन्न विशेषताओं को एक से आठ के क्रम में भिन्न-भिन्न अङ्क प्रदान किये जाते हैं। इन विशेषताओं को कूट के रूप में जाना जाता है। अष्टकूट एवं उनके मान निम्नलिखित हैं।

  1. वर्ण कूट - वर्ण कूट को 1 अङ्क दिया जाता है। वर्ण कूट आपसी प्रेम, सुख एवं आज्ञाकारिता का प्रतिनिधित्व करता है। आध्यात्मिक विकास का स्तर भी वर्ण कूट पर निर्भर करता है।
  2. वश्य कूट - वश्य कूट को 2 अङ्क दिये जाते हैं। वश्य कूट आपसी नियन्त्रण अथवा प्रभुत्व का प्रतिनिधित्व करता है। यह दम्पति के मध्य मित्रता एवं स्वीकार्यता को भी दर्शाता है।
  3. तारा कूट - तारा कूट को 3 अङ्क दिये जाते हैं। तारा कूट भाग्य, शुभता एवं दम्पति के मध्य पारस्परिक लाभ के हस्तान्तरण का प्रतिनिधित्व करता है।
  4. योनि कूट - योनि कूट को 4 अङ्क दिये जाते हैं। योनि कूट, जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है, यह यौन इच्छाओं एवं मैथुन अंगों सहित यौन पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
  5. ग्रह मैत्री कूट - ग्रह मैत्री कूट को 5 अङ्क दिये जाते हैं। ग्रह मैत्री, जोड़े के मध्य मनोवैज्ञानिक स्वभाव, मानसिक गुणों तथा स्नेह का प्रतिनिधित्व करता है।
  6. गण मैत्री कूट - गण कूट को 6 अङ्क दिये जाते हैं। गण कूट, प्रकृति, दीर्घायु, धन, समृद्धि तथा प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है।
  7. भकूट कूट - भकूट कूट को 7 अङ्क दिये गये हैं। भकूट कूट सन्तान, धन, सुख-सुविधा, सौभाग्य तथा परिवार की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
  8. नाड़ी कूट - नाड़ी कूट को 8 अङ्क दिये गये हैं। नाड़ी कूट स्वभाव, तन्त्रिका ऊर्जा, क्लेश तथा अन्य की मृत्यु का प्रतिनिधित्व करता है।

अष्ट-कूट विवाह प्रणाली में अधिकतम 36 गुण होते हैं। यदि दम्पति के मध्य दोनों के जोड़कर, कुल योग 31 गुण से 36 गुणों के मध्य हैं, तो मिलन उत्कृष्ट होता है, 21 से 30 गुणों के मध्य अति उत्तम होता है, 17 से 20 गुणों का योग मध्यम तथा 0 से 16 गुणों के मध्य का योग अशुभ होता है।

विद्वानों का यह भी मत है कि, उपरोक्त समूहीकरण तब लागू होता है, जब भकूट कूट अनुकूल होता है। यदि भकूट कूट प्रतिकूल है, तो मिलन किस भी परिस्थिति में उत्तम नहीं होता है। इस स्थिति में 26 से 29 (दोनों अंकों को मिलाकर) गुणों का योग अति उत्तम, 21 से 25 (दोनों अंकों को मिलाकर) गुणों का योग मध्यम तथा 0 से 20 (दोनों अंकों को मिलाकर) गुणों का योग अशुभ माना जाता है।

यह उल्लेखनीय है कि, कुण्डली मिलान के समय नाड़ी कूट को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। यदि नाड़ी कूट प्रतिकूल है, तो 28 गुणों वाला मिलान भी अशुभ माना जाता है।

Name
Name
Email
द्रिकपञ्चाङ्ग पर टिप्पणी दर्ज करने के लिये गूगल अकाउंट से लॉग इन करें।
टिप्पणी
और लोड करें ↓
Kalash
कॉपीराइट नोटिस
PanditJi Logo
सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
Ⓒ www.drikpanchang.com
प्राइवेसी पॉलिसी
द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation