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-3103 संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन कोलंबस, Ohio, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए

DeepakDeepak

-3103 संकष्टी चतुर्थी

चतुर्थी
10 दिन शेष
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी
ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी
कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका
15
मई 2025
बृहस्पतिवार
-3103 संकष्टी चतुर्थी उपवास के दिन
[-3047 - -3046] विक्रम सम्वत
चतुर्थी
20:25, जनवरी 01
चैत्र, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 00:40, जनवरी 02
समाप्त - 21:30, जनवरी 02
विकट संकष्टी चतुर्थी
जनवरी 31, -3103, मंगलवार
चतुर्थी
21:38
वैशाख, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 08:33, जनवरी 31
समाप्त - 05:33, फरवरी 01
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी
मार्च 1, -3103, बुधवार
चतुर्थी
21:37
ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 16:50, मार्च 01
समाप्त - 14:23, मार्च 02
चतुर्थी
22:37
आषाढ़, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 02:08, मार्च 31
समाप्त - 00:34, अप्रैल 01
गजानन संकष्टी चतुर्थी
अप्रैल 29, -3103, शनिवार
चतुर्थी
22:21
श्रावण, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 13:04, अप्रैल 29
समाप्त - 12:39, अप्रैल 30
चतुर्थी
22:41
भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 02:18, मई 29
समाप्त - 03:11, मई 30
चतुर्थी
21:56
आश्विन, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 18:16, जून 27
समाप्त - 20:19, जून 28
चतुर्थी
21:32
कार्तिक, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 12:43, जुलाई 27
समाप्त - 15:25, जुलाई 28
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
अगस्त 26, -3103, शनिवार
चतुर्थी
21:02
मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 08:20, अगस्त 26
समाप्त - 10:53, अगस्त 27
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी
सितम्बर 25, -3103, सोमवार
चतुर्थी
20:41
पौष, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 03:08, सितम्बर 25
समाप्त - 04:46, सितम्बर 26
चतुर्थी
20:01
माघ, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 19:25, अक्टूबर 24
समाप्त - 19:46, अक्टूबर 25
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
नवम्बर 23, -3103, बृहस्पतिवार
चतुर्थी
20:33
फाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 08:33, नवम्बर 23
समाप्त - 07:37, नवम्बर 24
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी
दिसम्बर 22, -3103, शुक्रवार
चतुर्थी
20:29
चैत्र, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 18:51, दिसम्बर 22
समाप्त - 16:51, दिसम्बर 23

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

-3103 संकष्टी चतुर्थी

Lord Ganesha

हिन्दु कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी होती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

हालाँकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है लेकिन सबसे मुख्य संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ के महीने में पड़ती है और अमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार पौष के महीने में पड़ती है।

संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। पश्चिमी और दक्षिणी भारत में और विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधिक प्रचलित है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत

भगवान गणेश के भक्त संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चन्द्रोदय तक उपवास रखते हैं। संकट से मुक्ति मिलने को संकष्टी कहते हैं। भगवान गणेश जो ज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च हैं, सभी तरह के विघ्न हरने के लिए पूजे जाते हैं। इसीलिए यह माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिल जाती है।

संकष्टी चतुर्थी का उपवास कठोर होता है जिसमे केवल फलों, जड़ों (जमीन के अन्दर पौधों का भाग) और वनस्पति उत्पादों का ही सेवन किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान साबूदाना खिचड़ी, आलू और मूँगफली श्रद्धालुओं का मुख्य आहार होते हैं। श्रद्धालु लोग चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद उपवास को तोड़ते हैं।

उत्तरी भारत में माघ माह के दौरान पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही भाद्रपद माह के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण विश्व में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा या संकटहरा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

स्थान आधारित संकष्टी चतुर्थी के दिन

यह जानना महत्वपूर्ण है कि संकष्टी चतुर्थी के उपवास का दिन दो शहरों के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह जरुरी नहीं है कि दोनों शहर अलग-अलग देशों में हों क्योंकि यह बात भारत वर्ष के दो शहरों के लिए भी मान्य है। संकष्टी चतुर्थी के लिए उपवास का दिन चन्द्रोदय पर निर्धारित होता है। जिस दिन चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र उदय होता है उस दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसीलिए कभी कभी संकष्टी चतुर्थी का व्रत, चतुर्थी तिथि से एक दिन पूर्व, तृतीया तिथि के दिन पड़ जाता है।

क्योंकि चन्द्र उदय का समय सभी शहरों के लिए अलग-अलग होता है इसीलिए संकष्टी चतुर्थी के व्रत की तालिका का निर्माण शहर की भूगोलिक स्थिति को लेकर करना अत्यधिक जरुरी है। द्रिकपञ्चाङ्ग की तालिका हरेक शहर की भूगोलिक स्थिति को लेकर तैयार की जाती है इसीलिए यह ज्यादा शुद्ध है। अधिकतर पञ्चाङ्ग सभी शहरों के लिए एक ही तालिका को सूचीबद्ध करते हैं इसीलिए वो केवल एक ही शहर के लिए मान्य होते हैं।

Kalash
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