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-7955 संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन कोलंबस, Ohio, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak

-7955 संकष्टी चतुर्थी

चतुर्थी
4 दिन शेष
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी
ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी
कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका
15
मई 2025
बृहस्पतिवार
-7955 संकष्टी चतुर्थी उपवास के दिन
[-7899 - -7898] विक्रम सम्वत
चतुर्थी
09:16 पी एम
आषाढ़, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 07:58 ए एम, जनवरी 27
समाप्त - 09:29 ए एम, जनवरी 28
गजानन संकष्टी चतुर्थी
फरवरी 25, -7955, बृहस्पतिवार
चतुर्थी
09:12 पी एम
श्रावण, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 08:09 पी एम, फरवरी 25
समाप्त - 08:40 पी एम, फरवरी 26
चतुर्थी
10:21 पी एम
भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 06:51 ए एम, मार्च 27
समाप्त - 06:16 ए एम, मार्च 28
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी
अप्रैल 25, -7955, रविवार
चतुर्थी
10:31 पी एम
आश्विन, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 04:37 पी एम, अप्रैल 25
समाप्त - 02:57 पी एम, अप्रैल 26
चतुर्थी
10:35 पी एम, मई 24
कार्तिक, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 02:00 ए एम, मई 25
समाप्त - 11:25 पी एम, मई 25
चतुर्थी
11:02 पी एम
मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 11:31 ए एम, जून 23
समाप्त - 08:22 ए एम, जून 24
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी
जुलाई 22, -7955, बृहस्पतिवार
चतुर्थी
10:08 पी एम
पौष, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 09:41 पी एम, जुलाई 22
समाप्त - 06:31 पी एम, जुलाई 23
चतुर्थी
09:30 पी एम
माघ, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 08:54 ए एम, अगस्त 21
समाप्त - 06:20 ए एम, अगस्त 22
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
सितम्बर 20, -7955, सोमवार
चतुर्थी
08:22 पी एम, सितम्बर 19
फाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 09:26 पी एम, सितम्बर 19
समाप्त - 07:57 पी एम, सितम्बर 20
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी
अक्टूबर 19, -7955, मंगलवार
चतुर्थी
08:00 पी एम
चैत्र, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 11:14 ए एम, अक्टूबर 19
समाप्त - 11:01 ए एम, अक्टूबर 20
विकट संकष्टी चतुर्थी
नवम्बर 18, -7955, बृहस्पतिवार
चतुर्थी
08:20 पी एम
वैशाख, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 01:57 ए एम, नवम्बर 18
समाप्त - 02:57 ए एम, नवम्बर 19
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी
दिसम्बर 17, -7955, शुक्रवार
चतुर्थी
08:09 पी एम
ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी
प्रारम्भ - 05:13 पी एम, दिसम्बर 17
समाप्त - 07:06 पी एम, दिसम्बर 18

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

-7955 संकष्टी चतुर्थी

Lord Ganesha

हिन्दु कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी होती हैं। पूर्णिमा के उपरान्त आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं तथा अमावस्या के उपरान्त आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

हालाँकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक माह में होता है, किन्तु सर्वाधिक मुख्य संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ माह में पड़ती है तथा अमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार पौष माह में पड़ती है।

संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं तथा इसे अत्यन्त शुभ माना जाता है। पश्चिमी एवं दक्षिणी भारत में तथा विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधिक प्रचलित है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत

भगवान गणेश के भक्त संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चन्द्रोदय तक उपवास करते हैं। संकट से मुक्ति मिलने को संकष्टी कहते हैं। भगवान गणेश जो ज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च हैं, सभी प्रकार के विघ्न हरने हेतु पूजे जाते हैं। इसीलिये यह माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्ति मिल जाती है।

संकष्टी चतुर्थी का उपवास कठोर होता है जिसमे केवल फलों, जड़ों अर्थात् भूमि के अन्दर पौधों का भाग तथा वनस्पति उत्पादों का ही सेवन किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान साबूदाना खिचड़ी, आलू एवं मूँगफली श्रद्धालुओं का मुख्य आहार होते हैं। श्रद्धालुगण चन्द्रमा के दर्शन करने के पश्चात् उपवास तोड़ते अथव पूर्ण करते हैं।

उत्तरी भारत में माघ माह के दौरान पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही भाद्रपद माह में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण विश्व में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।

तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा या संकटहरा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

स्थान आधारित संकष्टी चतुर्थी के दिन

यह ज्ञात करना महत्वपूर्ण है कि संकष्टी चतुर्थी के उपवास का दिन दो शहरों के लिये भिन्न-भिन्न हो सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि दोनों शहर भिन्न-भिन्न देशों में हों क्योंकि यह तथ्य भारत वर्ष के दो शहरों के लिये भी मान्य है। संकष्टी चतुर्थी के लिये उपवास का दिन चन्द्रोदय के आधार पर निर्धारित होता है। जिस दिन चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र उदय होता है उस दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसीलिये कभी कभी संकष्टी चतुर्थी का व्रत, चतुर्थी तिथि से एक दिन पूर्व, तृतीया तिथि के दिन पड़ जाता है।

क्योंकि चन्द्रोदय का समय सभी शहरों के लिये भिन्न-भिन्न होता है, इसीलिये संकष्टी चतुर्थी के व्रत की तालिका का निर्माण शहर की भौगोलिक स्थिति के आधार पर करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। द्रिकपञ्चाङ्ग की तालिका प्रत्येक शहर की भौगोलिक स्थिति के आधार पर तैयार की जाती है इसीलिये यह अधिक शुद्ध एवं सटीक है। अधिकांश पञ्चाङ्ग सभी शहरों के लिये एक ही तालिका को सूचिबद्ध करते हैं इसीलिये वे केवल एक ही शहर के लिये मान्य होते हैं।

Kalash
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