टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
रवि पुष्य योग को ज्योतिष शास्त्र में अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। पुष्य, एक शुभ नक्षत्र है। जिस समय रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र प्रचलित होता है, उस समय अत्यन्त शुभ रवि पुष्य योग निर्मित होता है।
सामान्यतः लोग आने वाले विवाह, समारोह एवं त्यौहारों की खरीदारी के लिये रवि पुष्य योग को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि इस समय को सभी प्रकार की नवीन वस्तुयें क्रय करने हेतु शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवीन वस्तुओं के सँग देवी लक्ष्मी भी घर में पधारती हैं तथा दीर्घकाल तक निवास करती हैं।
रवि पुष्य योग के समय नवीन कार अथवा कोई अन्य वाहन, स्वर्ण तथा हीरे के आभूषण, घरेलू एवं विद्युत संचालित उपकरण क्रय करना भी उत्तम माना जाता है। इस दिन कोई भी नवीन कार्य आरम्भ किया जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार, इस समयावधि में आरम्भ किये गये सभी नवीन कार्य पूर्ण होते हैं तथा सकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं।
एक वर्ष में केवल दो अथवा तीन बार ही ऐसे शुभ योग निर्मित होते हैं। रवि पुष्य योग को रवि पुष्य नक्षत्र योग के नाम से भी जाना जाता है।