वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों, नक्षत्रों एवं तिथियों के मेल द्वारा निर्मित शुभाशुभ संयोजन को योग कहा जाता है। प्रस्तुत लेख में सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग तथा रवि पुष्य योग आदि विभिन्न प्रकार के शुभ योगों के दिन सूचिबद्ध किये गये हैं। इन सभी शुभ योगों की अपनी-अपनी विशेषतायें हैं, जिसके कारण इन योगों के समय किये गये कार्यों में विशेष परिणाम प्राप्त होते हैं।
उदाहरण के लिये मान्यताओं के अनुसार द्विपुष्कर योग में किये गये कार्यों की पुनरावृत्ति दो बार तथा त्रिपुष्कर योग में किये गये कार्यों की पुनरावृत्ति तीन बार अवश्य होती है। इसी प्रकार जब रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ता है तो रवि पुष्य योग का निर्माण होता है। रवि पुष्य योग को विभिन्न प्रकार के माङ्गलिक कार्यों सहित बहुमूल्य धातु एवं आभूषण आदि क्रय करने हेतु अत्यन्त शुभ एवं लाभकारी माना जाता है। ऐसे ही विभिन्न शुभ योगों को उक्त आलेख में संगृहीत किया गया है।