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-2004 मत्स्य जयन्ती का दिन Fairfield, Connecticut, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak

-2004 मत्स्य जयन्ती

Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका
मत्स्य जयन्ती
25वाँ
जनवरी -2004
Wednesday / बुधवार
भगवान मत्स्य
Matsya Jayanti

मत्स्य जयन्ती मुहूर्त

मत्स्य जयन्ती बुधवार, जनवरी 25, -2004 को
मत्स्य जयन्ती मुहूर्त - 13:14 से 15:12
अवधि - 01 घण्टा 58 मिनट्स
तृतीया तिथि प्रारम्भ - जनवरी 24, -2004 को 23:21 बजे
तृतीया तिथि समाप्त - जनवरी 25, -2004 को 23:04 बजे

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

-2004 मत्स्य जयन्ती

मत्स्य जयन्ती भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के जन्म की वर्षगाँठ है। हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार मत्स्य जयन्ती का पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। मत्स्य अवतार, सत्ययुग में भगवान विष्णु का प्रथम अवतार था। इस अवतार में विष्णु जी एक मछली के रूप में प्रकट हुये थे तथा उन्होंने राजा सत्यव्रत, प्रजापतियों एवं सप्तऋषियों की जलप्रलय से रक्षा की थी।

मत्स्य अवतार से सम्बन्धित एक अन्य कथा के अनुसार एक समय हयग्रीव नामक राक्षस ने ब्रह्मा जी के वेदों को चुराकर समुद्रतल में छुपा दिया था, जिन्हें पुनः प्राप्त करने हेतु भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था।

मत्स्य जयन्ती का दिन चैत्र नवरात्रि के समय आता है तथा सामान्यतः गणगौर उत्सव के साथ मेल खाता है। मत्स्य जयन्ती के अवसर पर, भगवान विष्णु के मन्दिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त एक दिवसीय उपवास का पालन करते हैं तथा मत्स्यपुराण एवं श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं।

आन्ध्र प्रदेश के नागालपुरम में अवस्थित श्री वेदनारायण स्वामी मन्दिर भगवान मत्स्य को समर्पित एक अत्यन्त प्राचीन मन्दिर है। सोलहवीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासक श्री कृष्णदेव राय द्वारा इस मन्दिर का निर्माण करवाया गया था।

इस मन्दिर में भगवान विष्णु मत्स्य रूप में श्रीदेवी एवं भूदेवी के साथ विराजमान हैं। इस विग्रह की यह विशेषता है कि इसमें भगवान विष्णु ने प्रयोग मुद्रा, अर्थात् सोमकुडु नामक राक्षस के वध हेतु तत्पर अवस्था में सुदर्शन चक्र धारण किया हुआ है। इस वेदनारायण स्वामी मन्दिर में मत्स्य जयन्ती के पावन अवसर पर विशेष पूजन एवं भव्य आयोजन किया जाता है।

पूजन का आरम्भ सर्वप्रथम लगभग प्रातः 5 बजे सुप्रभात सेवा से होता है, तदुपरान्त थोमाला सेवा एवं सहस्रनामार्चना सेवा की जाती है। इन तीनों सेवाओं के पश्चात् प्रातः मत्स्य जयन्ती उत्सवम् मनाया जाता है, जिसके अन्तर्गत भगवान मत्स्य के एक अन्य लघु विग्रह की शोभायात्रा निकाली जाती है। शोभायात्रा के पश्चात् स्नपन तिरुमंजनम्, अर्थात् भगवान मत्स्य को दिव्य स्नान करवाया जाता है। सायाह्नकाल में गरुड़ पर विराजमान भगवान की शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसके साथ इस महोत्सव का समापन हो जाता है।

इसके अतिरिक्त इस्कॉन मन्दिरों में भी मत्स्य जयन्ती का उत्सव विशाल स्तर पर मनाया जाता है तथा इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना एवं अभिषेक किया जाता है।

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के विषय में विस्तृत वर्णन पढ़ने हेतु उक्त लेख का अवलोकन करें - मत्स्य अवतार

Kalash
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