चन्द्र दृष्टियाँ
ग्रह परस्पर समानान्तर
ग्रह क्रान्तिवृत्त पारगमन
ग्रह युद्ध
लग्न, जो किसी व्यक्ति के कुण्डली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, पूर्वी क्षितिज में उदय होती हुयी राशि है। हिन्दु धर्म में विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्यों सहित विभिन्न मुहूर्तों का निर्धारण लग्न के आधार पर ही किया जाता है।
चन्द्र, मङ्गल, बुध, गुरु आदि ग्रहों के अस्त होने के दिन एवं समय को सूचिबद्ध किया गया है। वैदिक ज्योतिष में ग्रह के अस्त काल को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य के अत्यन्त निकट आ जाने के कारण ग्रह के दृष्टिगोचर न होने की स्थिति को ग्रह अस्त कहा जाता है।
मङ्गल, बुध, गुरु, शुक्र आदि ग्रहों के वक्री होने के दिन एवं समय सूचिबद्ध किये गये हैं। प्रत्येक वक्री क्षेत्र में चार बिन्दु होते हैं, जो कि छाया बिन्दु, वक्री बिन्दु, मार्गी बिन्दु और प्रक्षेपण बिन्दु के नाम से जाने जाते हैं। सूर्य एवं चन्द्र के अतिरिक्त अन्य सभी ग्रह वक्री होते हैं।
प्रस्तुत लेख में स्थान आधारित सायन ग्रह स्थिति प्रदान की गयी है। सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि आदि ग्रहों की सायन ग्रह स्थिति वर्णित की गयी है। पाश्चात्य ज्योतिष में सायन ग्रह स्थिति को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रस्तुत लेख में स्थान आधारित निरयण ग्रह स्थिति प्रदान की गयी है। सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि आदि ग्रहों की निरयण ग्रह स्थिति वर्णित की गयी है। वैदिक ज्योतिष में निरयण ग्रह स्थिति को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है।