ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि जिस राशि में रहते हैं उसकी पिछली राशि और उसकी अगली राशि को भी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार शनि साढ़े सात वर्ष तक प्रत्यक्ष शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनि ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में कर्मफलदाता माना गया है जो मानव जीवन में अनुकूलता एवं प्रतिकूलता दोनों को प्रभावित करता है। सामान्यतः शनि को लेकर समाज में नकारात्मक धारणायें अधिक हैं, विशेष रूप से साढ़ेसाती से भय व्याप्त रहता है। किन्तु शास्त्रों में शनि को "पाप का शमन करने वाला" कहा गया है।
शनि धीमे गति से फल प्रदान करते हैं, किन्तु उनके प्रभाव दीर्घकालिक और स्थायी होते हैं। साढ़ेसाती शुभ या अशुभ होगी, यह पूर्णतः जातक की जन्मकुण्डली में स्थित शनि की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि शनि शुभ हों तो वे सफलता, यश और स्थायित्व भी प्रदान करते हैं। अतः साढ़ेसाती से भयभीत न होकर संयम और सत्कर्म के साथ इसे सहन करना चाहिये।
शनि साढ़ेसाती के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु कृपया साढ़ेसाती के विषय में विवरण का अवलोकन करें।