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मान्यताओं के अनुसार रंग पञ्चमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीराधा रानी के साथ रंग-गुलाल की होली खेली थी। भारत में कुछ स्थानों पर होली रंग पञ्चमी के दिन खेली जाती है। सामान्यतः भारत के अन्य क्षेत्रों में रंग पञ्चमी होली उत्सव के पाँच दिवस उपरान्त आती है।
उक्त लेख में भद्रा पूँछ एवं भद्रा मुख के समय सहित होलिका दहन का मुहूर्त प्रदान किया गया है। होलिका दहन की पूर्व सन्ध्या पर राक्षस हिरण्यकशिपु की बहन राक्षसी होलिका के दहन के उपलक्ष्य में विशाल अग्नि दहन किया जाता है।
होली हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले सर्वाधिक लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है प्रत्येक वर्ष अत्यन्त हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होली को रंगोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। होली के अवसर पर लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं।
भक्त प्रह्लाद, राक्षस हिरण्यकशिपु एवं उसकी बहन होलिका से सम्बन्धित होली की कथा वर्णित की गयी है। जानिये किस प्रकार भगवान विष्णु की कृपा से दिव्य ओढ़नी होते हुये भी होलिका अग्नि में भस्म हो जाती है तथा भक्त प्रह्लाद सुरक्षित बच जाते हैं।
होली
सङ्कल्प मन्त्र, पूजा सामग्री एवं होलिका स्थापना विधि सहित विस्तृत होली पूजा विधि चरणबद्ध रूप से प्रदान की गयी है। उक्त पूजा विधि में देवी अम्बिका, भगवान गणेश, भगवान नृसिंह, भक्त प्रह्लाद आदि के मन्त्रों को भी सम्मिलित किया गया है।
आज बिरज में होरी रे रसिया। होरी रे होरी रे बरजोरी रे रसिया॥ घर घर से ब्रज बनिता आई, कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया। उक्त होली का रसिया गीत हिन्दी बोल एवं वीडियो सहित दिया गया है। होली का त्यौहार इस गीत के बिना अधूरा सा प्रतीत होता है।