☰
Search
Mic
En
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

Gaja Lakshmi - Goddess of Power and Strength

DeepakDeepak

Gaja Lakshmi

Goddess Gaja Lakshmi
Gaja Lakshmi - Goddess of Power and Strength

नारायण पञ्चरात्र के अनुसार, गज लक्ष्मी को पशु धन प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी गज लक्ष्मी के पूजन से शाही एवं राजसी वैभव की प्राप्ति भी होती है। कुछ विद्वानों के अनुसार गजलक्ष्मी का अर्थ है देवी लक्ष्मी का वह स्वरूप जिसकी पूजा गज अर्थात हाथी करते हैं। अतः देवी गजलक्ष्मी के स्वरूप का वर्णन विभिन्न विद्वानों द्वारा अपने-अपने अनुसार किया जाता है। हाथी को प्राचीन काल से ही राजसी वैभव तथा ठाठ-बाठ से जोड़कर देखा जाता है। अतः भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति एवं विलासितापूर्ण जीवन की कामना से देवी गज लक्ष्मी की उपासना की जाती है।

गज लक्ष्मी उत्पत्ति

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पाण्डव अज्ञातवास के समय वन में चारों और भटक रहे थे, उस समय माता कुन्ती देवी अष्ट लक्ष्मी की पूजा करने हेतु व्याकुल थीं। पाण्डव अपनी माँ को व्यथित देख देवराज इन्द्र से प्रार्थना करने लगे। पाण्डवों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवराज इन्द्र ने स्वयं अपने ऐरावत हाथी को पृथ्वीलोक पर भेज दिया। इन्द्र के इस ऐरावत हाथी पर माँ लक्ष्मी विराजमान हुयीं तथा माता कुन्ती ने अष्ट लक्ष्मी पूजन सम्पन्न किया। वहीं दूसरी ओर देवराज इन्द्र के आदेश पर भीषण वर्षा होने के कारण कौरवों द्वारा बनाया हुआ मिट्टी का हाथी जलमग्न हो गया तथा कौरवों का अष्ट लक्ष्मी पूजन सम्पन्न नहीं हो सका। पाण्डवों द्वारा सफलता पूर्वक पूजा सपन्न करने के कारण देवी गज लक्ष्मी प्रसन्न हुयीं और उनकी कृपा से पाण्डवों को पुनः राज्य आदि का सुख प्राप्त हुआ।

जिस स्थान पर माता कुन्ती देवी ने गज लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की थी, वर्तमान में वह स्थान महाकाल की नगरी उज्जैन में "गज लक्ष्मी देवी मन्दिर" के रूप में स्थित है। इस मन्दिर में देवी लक्ष्मी गज पर आरूढ़ होकर दर्शन देती हैं। इस मन्दिर में देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की लगभग दो हजार वर्ष पुरानी दशावतार मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह काले पत्थर से निर्मित विष्णु जी की अत्यन्त दुर्लभ प्रतिमा है, जिसमें उनके दशावतारों को भी प्रदर्शित किया गया है।

गज लक्ष्मी स्वरूप

देवी गज लक्ष्मी को चतुर्भुज रूप में लाल रँग के वस्त्र धारण किये सुन्दर स्वर्णभूषणों से अलङ्कृत दर्शाया जाता है। देवी गज लक्ष्मी अपनी दो भुजाओं में दो कमल पुष्प धारण करती हैं तथा उनकी अन्य दो भुजायें अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में स्थित रहती हैं। देवी गजलक्ष्मी के दोनों ओर दो हाथियों को कलश द्वारा उन पर जल अर्पित करते हुये चित्रित किया जाता है।

गज लक्ष्मी मन्त्र

ॐ गजलक्ष्म्यै नमः।

गज लक्ष्मी स्तोत्रम्

जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, तापनिवारिणि पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम्॥

गज लक्ष्मी के 108 नाम

देवी लक्ष्मी के गज लक्ष्मी रूप के 108 नामों को देवी गज लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली के रूप में जाना जाता है - देवी गज लक्ष्मी के 108 नाम।

गज लक्ष्मी मन्दिर

  • गज लक्ष्मी मन्दिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
Kalash
Copyright Notice
PanditJi Logo
All Images and data - Copyrights
Ⓒ www.drikpanchang.com
Privacy Policy
Drik Panchang and the Panditji Logo are registered trademarks of drikpanchang.com
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation