वीर लक्ष्मी शक्ति एवं साहस की देवी हैं। विपत्ति में वीरता ही काम आती है। इसीलिये वीरता एवं साहस की प्राप्ति हेतु देवी वीर लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है। देवी वीर लक्ष्मी की पूजा करने से ज्ञात-अज्ञात सभी प्रकार के भय नष्ट होते हैं। देवी माँ की भक्ति से मन में ऊर्जा का सञ्चार होता है तथा प्राणी प्रफुल्लित होकर जीवन का आनन्द लेता है।
देवी वीर लक्ष्मी अपने भक्तों को, जीवन में आने वाले प्रत्येक संकट का वीरता एवं साहस से सामना करने की शक्ति एवं साहस प्रदान करती हैं। देवी माँ की कृपा एवं आशीर्वाद के प्रभाव से प्राणी निर्भीक हो जाता है तथा संसार की कोई भी विपत्ति उसके मनोबल को नहीं तोड़ पाती है।
देवी वीर लक्ष्मी को अष्टभुज रूप में लाल वस्त्र धारण किये हुये कमल पुष्प पर विराजमान दर्शाया जाता है। देवी के कुछ अन्य रूपों में उन्हें सिंह पर आरूढ़ चित्रित किया जाता है। देवी अपनी भुजाओं में चक्र, शंख, धनुष, बाण, तलवार और स्वर्ण पात्र धारण करती हैं तथा देवी के अन्य दो हाथ अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में स्थित रहते हैं।
ॐ वीरलक्ष्म्यै नमः।
जयवरवर्णिनी वैष्णवी भार्गवी मन्त्रस्वरूपिणी मन्त्रम्ये
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनी शास्त्रनुते।
भवभयहारिणी पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसुदन कामिनी धैर्यलक्ष्मी सदापलेमाम॥
देवी लक्ष्मी के वीर लक्ष्मी रूप के 108 नामों को देवी वीर लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली के रूप में जाना जाता है - वीर लक्ष्मी के 108 नाम।