देवी कमला, दस महाविद्याओं में से दसवीं देवी हैं। देवी कमला को देवी का सर्वाधिक सर्वोच्च रूप माना जाता है, जो देवी का पूर्णतः कृपामयी एवं दिव्य स्वरूप है। न केवल देवी कमला की देवी लक्ष्मी के साथ तुलना की जाती है, अपितु उन्हें देवी लक्ष्मी ही माना जाता है। उन्हें तान्त्रिक लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। देवी कमला अपने इस स्वरूप के माध्यम से सम्पत्ति, समृद्धि, उर्वरता, उपज तथा सौभाग्य आदि प्रदान करती हैं। अतः देवी कमला धन एवं धान्य दोनों की देवी हैं।
देवी कमला, देवी लक्ष्मी के सामान ही हैं। हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार, कमला जयन्ती आश्विन माह (पूर्णिमान्त कार्तिक माह) की अमावस्या को मनायी जाती है।
देवी कमला को लाल पोशाक धारण किये हुये तथा भव्य स्वर्णाभूषणों से सुसज्जित दर्शाया जाता है। देवी कमला स्वर्ण वर्ण की हैं। धर्मग्रन्थों में देवी के चतुर्भुज स्वरूप को दर्शाया गया है। अपनी दो भुजाओं में देवी कमल पुष्प धारण करती हैं तथा शेष दो भुजाओं में से एक वरद एवं अन्य भुजा अभय मुद्रा में रहती है।
उनके समक्ष चार गजराज (हाथी) हैं, जिन्हें समुद्र के मध्य कमल पुष्प पर विराजमान देवी का अभिषेक करते हुये दर्शाया गया है।
देवी कमला साधना धन एवं समृद्धि प्राप्त करने हेतु की जाती है।
ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः॥