☰
Search
Mic
हि
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

सरस्वती पूजा विधि | षोडशोपचार सरस्वती पूजा विधि

DeepakDeepak

सरस्वती पूजा के 16 चरण

सरस्वती पूजा विधि

यहाँ हम विस्तृत सरस्वती पूजा विधि का वर्णन कर रहे हैं, जिसका पालन वसन्त पञ्चमी सहित देवी सरस्वती के सभी पूजा पर्वों पर किया जा सकता है। वसन्त पञ्चमी को श्री पञ्चमी के रूप में भी जाना जाता है तथा यह कला, ज्ञान एवं बुद्धिमत्ता की देवी की पूजा-आराधना एवं कृपा प्राप्ति हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण अवसर है।

यह पूजा विधि देवी सरस्वती की नवीन प्रतिमा अथवा मूर्ती के लिये दी गयी है। निम्नलिखित पूजा विधि में पूजन के सभी सोलह चरण सम्मिलित हैं, जिन्हें षोडशोपचार पूजा के रूप में जाना जाता है।

1. ध्यानम्

माता सरस्वती का ध्यान करते हुये पूजा आरम्भ करनी चाहिये। आपके समीप पहले से स्थापित भगवती सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष ध्यान करना चाहिये। भगवती सरस्वती का ध्यान करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का करना चाहिये।

Hindu Family Saraswati Puja
श्री सरस्वती पूजा
श्री सरस्वती ध्यान मन्त्र

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

ॐ ध्यानात् ध्यानं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

मन्त्र का अर्थ - जो कुन्द-पुष्प और हिम-माला के समान उज्जवल-वर्णा हैं, जो उज्जवल वस्त्र-धारिणी हैं, जो सुन्दर वीणा-दण्ड से सुशोभित कर-कमलोंवाली हैं और जो सदा ब्रह्मा-विष्णु-महेश आदि देवताओं द्वारा वन्दिता हैं, वे जड़ता को निर्मूल करनेवाली भगवती सरस्वती मेरी रक्षा करें।

2. आवाहनम्

भगवती सरस्वती का ध्यान करने के उपरान्त उनकी मूर्ति के समक्ष आवाहन मुद्रा प्रदर्शित करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करना चाहिये। आवाहन मुद्रा दोनों हथेलियों को मिलाकर तथा दोनों अँगूठों को अन्दर की ओर मोड़कर बनायी जाती है।

श्री सरस्वती आवाहन मन्त्र

हरिः ॐ। सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।
स भूमिं विश्वतो वृत्वा अत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम्॥
आगच्छ सरस्वती देवी स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजां करिष्यामि तावत्त्वं सन्निधौ भव॥

ॐ भगवतीं श्रीसरस्वतीम् आवाहयामि॥

3. आसनम्

माता सरस्वती का आवाहन होने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, उन्हें पुष्प निर्मित आसन अर्पण करने हेतु (दोनों हथेलियों को मिलाकर) अञ्जलि में पाँच पुष्प लें तथा उन्हें माता सरस्वती की मूर्ति के समक्ष छोड़ दें।

श्री सरस्वती आसन मन्त्र

रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वसौख्यकरं शुभम्।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरि॥

ॐ इदमासनं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

4. पाद्यम्

देवी सरस्वती को आसन अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, उन्हें चरण प्रक्षालन करने हेतु जल अर्पित करें।

श्री सरस्वती पाद्य मन्त्र

गङ्गोदकं निर्मलं च सर्वसौगन्धसंयुतम्।
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगृह्यताम्॥

ॐ पादयोः पाद्यं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

5. अर्घ्यम्

पाद्य अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी सरस्वती को शिर के अभिषेक हेतु जल अर्पित करें।

श्री सरस्वती अर्घ्य मन्त्र

अर्घ्यं गृहाण देवेशि गन्धपुष्पाक्षतैः सह।
करुणां कुरु मे देवि गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते॥

ॐ हस्तयोरर्घ्यं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

6. आचमनीयम्

अर्घ्य अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को आचमन (ग्रहण करने हेतु) जल अर्पित करें।

श्री सरस्वती आचमनीय मन्त्र

सर्वतीर्थसमायुक्तं सुगन्धिनिर्मलं जलम्।
आचम्यतां मया दत्तं गृहाण परमेश्वरि॥

ॐ मुखे आचमनीयं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

7. स्नानम्

आचमनीय अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को स्नान हेतु जल अर्पित करें।

श्री सरस्वती स्नान मन्त्र

गङ्गासरस्वतीरेवा-पयोष्णीनर्मदाजलैः।
स्नापिताऽसि मया देवि तथा शान्तिं कुरुष्व मे॥

ॐ स्नानार्थं जलं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

8. पञ्चामृत-स्नानम्

स्नान के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को पञ्चामृत स्नान करायें।

श्री सरस्वती पञ्चामृत-स्नान मन्त्र

पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करायुतम्।
पञ्चामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥

ॐ पञ्चामृतेन स्नापयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

9. शुद्धोदक-स्नानम्

पञ्चामृत स्नान के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को स्नान हेतु शुद्ध जल से स्नान करायें।

श्री सरस्वती शुद्धोदक-स्नान मन्त्र

ज्ञानमूर्ते भद्रकालि दिव्यमूर्ते सुरेश्वरि।
शुद्धस्नानं गृहाणेदं नारायणि नमोऽस्तु ते॥

ॐ पञ्चामृतस्य पश्चात् शुद्धोदकेन स्नापयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

10. गन्ध-स्नानम्

शुद्धोदक स्नान के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को सुगन्ध अर्पित करें। गन्ध स्नान के उपरान्त वस्त्र अर्पित करने से पूर्व एक अन्तिम शुद्धोदक स्नान करायें।

श्री सरस्वती गन्ध-स्नान मन्त्र

मलयाचलसम्भूतं चन्दनागरुसम्भवम्।
चन्दनं देवदेवेशि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥

ॐ शुद्धोदकस्य पश्चात् गन्धोदकेन स्नापयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

11. वस्त्रम्

गन्ध स्नान के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को नवीन वस्त्र के रूप में मोली अर्पित करें।

श्री सरस्वती वस्त्र मन्त्र

तन्तुसन्तानसंयुक्तं कलाकौशलकल्पितम्।
सर्वाङ्गाभरणं श्रेष्ठवसनं परिधीयताम्॥

ॐ वस्त्रं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

12. चन्दनम्

वस्त्र अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को चन्दन अर्पित करें।

श्री सरस्वती चन्दन मन्त्र

श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठे चन्दनं प्रतिगृह्यताम्॥

ॐ चन्दनं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

13. सौभाग्य-द्रव्यम्

गन्ध अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को सौभाग्यद्रव्यम् के रूप में हल्दी, कुमकुम, सिन्दूर अर्पित करें।

श्री सरस्वती सौभाग्य-द्रव्य मन्त्र

ताम्बूलपत्रं मयाऽऽनीतं हरिद्राकुङ्कुमाञ्जनम्।
सिन्दूरालक्चकं दास्वे सौभाग्यद्रव्यमीश्वरि॥

ॐ सौभाग्यद्रव्यं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

14. अलङ्कारः

सौभाग्यद्रव्य अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को अलङ्कार, अर्थात आभूषण अर्पित करें।

श्री सरस्वती अलङ्कार मन्त्र

रत्नकङ्कणकेयूरं काञ्ची कुण्डलनूपुरं।
मुक्ताहारं किरीटञ्च गृहाणाभरणानि मे॥

ॐ अलङ्कारान् समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

15. पुष्पम्

अलङ्कार अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को पुष्प अर्पित करें।

श्री सरस्वती पुष्प मन्त्र

माल्यादीनि सुगन्धीनि माल्यत्यादीनि वै प्रभो।
मयाऽऽनीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वरि॥

ॐ पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

16. धूपः

पुष्प अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को धूप अर्पित करें।

श्री सरस्वती धूप मन्त्र

वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः।
आघ्रेयः नारायणि धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्॥

ॐ धूपमाघ्रापयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

17. दीपः

धूप अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को दीप अर्पित करें।

श्री सरस्वती दीप मन्त्र

साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेशि त्रैलोक्यतिमिरापहम्॥

ॐ दीपं दर्शयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

18. नैवेद्यम्

दीप अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को नैवेद्य अर्पित करें।

श्री सरस्वती नैवेद्य मन्त्र

शर्कराघृतसंयुक्तं मधुरं स्वादु चोत्तमम्।
उपहारसमायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्॥

ॐ नैवेद्यं निवेदयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

19. आचमनीयम्

नैवेद्य अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती आचमन एवं ग्रहण करने हेतु जल अर्पित करें।

श्री सरस्वती आचमनीय मन्त्र

एलोशिरलवङ्गादि-कर्पूरपरिवासितम्।
प्राशनार्थं कृतं तोयं गृहाण परमेश्वरि॥

ॐ नैवेद्यान्ते आचमनीयं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

20. ताम्बूलम्

आचमन अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पित करें।

श्री सरस्वती ताम्बूल मन्त्र

पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
एलाचूर्णादिसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्॥

ॐ एलालवङ्गकर्पूर-आदिसहितं ताम्बूलं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

21. दक्षिणा

ताम्बूल अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को दक्षिणा अर्पित करें।

श्री सरस्वती दक्षिणा मन्त्र

हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः।
अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥

ॐ दक्षिणां समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

22. आरार्तिक्यम् (आरती)

दक्षिणा अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती की आरती करें।

श्री सरस्वती आरार्तिक्य मन्त्र

कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।
आरार्तिक्यमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव॥

ॐ कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

23. प्रदक्षिणा

तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पुष्पों के साथ माता सरस्वती की प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा, अर्थात बायीं ओर से दायीं ओर परिक्रमा करें।

श्री सरस्वती प्रदक्षिणा मन्त्र

एका चण्ड्या रवेः सप्त तिस्रः कार्या विनायके।
हरेश्चतस्रः कर्तव्याः शिवस्यार्धप्रदक्षिणा॥

ॐ प्रदक्षिणां समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

24. पुष्पाञ्जलिः

प्रदक्षिणा के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को (दोनों हथेलियों को मिलाकर) अञ्जलि में पुष्प लेकर पुष्पाञ्जलि अर्पित करें।

श्री सरस्वती पुष्पाञ्जलि मन्त्र

नानासुगन्धपुष्पैश्च यथाकालोद्भवैरपि।
पुष्पाञ्जलिं मया दत्तां गृहाण परमेश्वरि॥

ॐ मन्त्रपुष्पाञ्जलियुक्तं नमस्कारं समर्पयामि भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः॥

25. साष्टाङ्ग-प्रणामः

पुष्पाञ्जलि अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, माता सरस्वती को साष्टाङ्ग प्रणाम, अर्थात शीश, नेत्र, हृदय, हाथ, पैर, घुटने, मन एवं वचन, इन आठ अङ्गों द्वारा प्रणाम करें।

श्री सरस्वती साष्टाङ्ग-प्रणाम मन्त्र

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्॥
तामग्निवर्णां तपसा ज्वलन्तीं वैरोचनीं कर्मफलेषु जुष्टाम्।
दुर्गां देवीगं शरणमहं प्रपद्ये सुतरसि तरसे नमः॥
देवीं वाचमजनयन्त देवास्तां विश्वरूपाः पशवो वदन्ति।
सा नो मन्द्रेषमूर्जं दुहाना धेनुर्वागस्मानुपसुष्टुतैतु॥
कालरात्रिं ब्रह्मस्तुतां वैष्णवीं स्कन्दमातरम्।
सरस्वतीमदितिं दक्षदुहितरं नमामः पावनां शिवाम्॥

ॐ भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः साष्टाङ्ग-प्रणामं समर्पयामि॥

Kalash
कॉपीराइट नोटिस
PanditJi Logo
सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
Ⓒ www.drikpanchang.com
प्राइवेसी पॉलिसी
द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation