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माता सरस्वती को ज्ञान, वाणी एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। इस पृष्ठ पर देवी सरस्वती से सम्बन्धित विभिन्न महत्वपूर्ण सूचनायें संकलित की गयी हैं। देवी सरस्वती त्रिदेवों में से एक भगवान ब्रह्मा की शक्ति हैं तथा हिन्दु धर्म में पूजी जाने वाली मुख्य त्रिदेवियों में से एक हैं।
वसन्त पञ्चमी का पर्व, देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। विभिन्न शिक्षण संस्थानों और मन्दिरों में देवी माँ सरस्वती का विशेष पूजन किया जाता है। इस पृष्ठ में वसन्त पञ्चमी के विस्तृत महात्म्य के साथ ही विभिन्न प्रान्तों में पर्व के स्वरूप और उससे जुड़ी विविधताओं का वर्णन किया गया है।
माता सरस्वती को अति प्रिय यह सरस्वती वन्दना संस्कृत श्लोकों के साथ बंगाली और हिन्दी अर्थ में दी गयी है। उत्तम बुद्धि, ज्ञान और कौशल की प्राप्ति के लिये यह वन्दना की जाती है। कई शिक्षण संस्थानों में प्रातः प्रार्थना के लिये सरस्वती वन्दना का गायन किया जाता है।
वसन्त पञ्चमी को सरस्वती पूजन के अतिरिक्त, दक्षिण भारतीय राज्यों और गुजरात में शारदीय नवरात्रि के दिनों में भी विशेष रूप से सरस्वती माता का पूजन किया जाता है। इस विशेष सरस्वती पूजा के दिन और महात्म्य की जानकारी इस पृष्ठ में दी गयी है।
नवरात्रि सरस्वती पूजा मुहूर्त दिया गया है। नवरात्रि पूजा के समय सरस्वती पूजा के द्वितीय दिवस को सरस्वती प्रधान पूजा दिवस के रूप में जाना जाता है। व्रतराज एवं रुद्रयामल आदि विभिन्न धर्मग्रन्थों में सरस्वती पूजा के महत्व एवं विधान का वर्णन प्राप्त होता है।
ध्यान, आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य तथा आचमनीय सहित देवी षोडशोपचार सरस्वती पूजा विधि के सभी सोलह चरण मन्त्र सहित वर्णित किये गये हैं। वसन्त पञ्चमी एवं देवी सरस्वती से सम्बन्धित विशेष अवसरों पर देवी सरस्वती का षोडशोपचार पूजन किया जाता है।
वसन्त पञ्चमी के अवसर पर की जाने वाली सरस्वती पूजा का मुहूर्त यहाँ दिया गया है। देवी सरस्वती ज्ञान, संगीत एवं कला की देवी हैं तथा वसन्त पञ्चमी के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवसर पर माँ सरस्वती को पीले रंग के पुष्प अर्पित किये जाते हैं।
1.ॐ सरस्वत्यै नमः। 2.ॐ महाभद्रायै नमः। 3.ॐ महामायायै नमः। ... 107.ॐ नीलजङ्घायै नमः। 108.ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः। आदि 108 नामों एवं मन्त्रों से युक्त देवी सरस्वती की अष्टोत्तर शतनामावली अर्थ सहित प्रदान की गयी है। इन मन्त्रों का जाप विद्या एवं ज्ञान की देवी को प्रसन्न करने के लिये किया जाता है।
सरस्वती एकाक्षर मन्त्र, सरस्वती द्व्यक्षर मन्त्र, सरस्वती त्र्याक्षर मन्त्र, महासरस्वती मन्त्र तथा सरस्वती गायत्री मन्त्र सहित देवी सरस्वती के विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रों का संग्रह प्रदान किया गया है। इन मन्त्रों का प्रयोग देवी सरस्वती के पूजन एवं दैनिक जाप हेतु किया जाता है।
ॐ जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता। सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय सरस्वती माता॥ देवी सरस्वती को समर्पित यह सुमधुर आरती, वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है। इस आरती का गायन सरस्वती पूजा में किया जाता है।
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥ जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥ उक्त लोकप्रिय सरस्वती चालीसा, वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है। 40 चौपाइयों से युक्त स्तुति को चालीसा कहा जाता है। देवी सरस्वती को प्रसन्न करने हेतु इस चालीसा का गायन किया जाता है।
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। उक्त श्री सरस्वती स्तोत्रम् देवी सरस्वती का अत्यन्त लोकप्रिय स्तोत्र है, जो वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान किया गया है। इस स्तोत्र का विधिवत पाठ करने से देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। देवी सरस्वती को समर्पित उक्त स्तोत्र, अगस्त्य कृत सरस्वती स्तोत्रम् के नाम से प्रचलित है, क्योंकि इसकी रचना ऋषि अगस्त्य ने की थी। स्तोत्र के संस्कृत बोल एवं हिन्दी अनुवाद प्रदान किये गये हैं।