*द्रिकपञ्चाङ्ग अपने उपयोगकर्ताओं के लिए निःशुल्क रंगोली रचनायें प्रदान करता है। उपयोगकर्ता इन्हें सहेज सकते हैं और अपने प्रियजनों को भेज सकते हैं। ये रंगोली रचनायें कॉपीराइट के तहत संरक्षित हैं। इनका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
देवी लक्ष्मी, हिन्दु धर्म की तीन प्रमुख देवियों देवी लक्ष्मी, देवी पार्वती एवं देवी सरस्वती में से एक हैं, जिन्हें संयुक्त रूप से त्रिमूर्ति के रूप में जाना जाता है। देवी लक्ष्मी धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं। देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु की अर्धांगिनी तथा महर्षि भृगु की पुत्री हैं।
कमल पुष्प, गज, श्री, स्वर्ण, उलूक, कौड़ी आदि ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्मी चिह्न इस लेख में वर्णित किये गये हैं। इन प्रतीकों को देवी लक्ष्मी का चिह्न मानकर विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है। हिन्दु धर्म में प्रत्येक देवी-देवता के लिये कुछ शुभ चिह्न निर्धारित किये गये हैं।
कोजागर लक्ष्मी पूजा का पर्व मुख्यतः पश्चिम बंगाल, ओडिशा तथा असम में मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कोजागर पूजा की रात्रि में देवी लक्ष्मी सम्पूर्ण सृष्टि में भ्रमण हेतु निकलती हैं तथा जो भी भक्त उन्हें जागरण करता हुआ मिलता है, देवी माँ उसको सुख-समृद्धि से सम्पन्न कर देती हैं।
वरलक्ष्मी पूजा श्रावण शुक्ल पक्ष के अन्तिम शुक्रवार के दिन की जाती है। यह पूजा धन-समृद्धि की देवी वर लक्ष्मी को समर्पित है। पूजा हेतु आवश्यक सिंह लग्न पूजा मुहूर्त, वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त, कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त, वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त इस पृष्ठ पर उपलब्ध हैं।
महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रारम्भ होकर निरन्तर सोलह दिवस तक किया जाता है। यह व्रत देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने तथा धन-सम्पदा की प्राप्ति हेतु किया जाता है। इस दिन राधा अष्टमी एवं दूर्वा अष्टमी का व्रत भी किया जाता है।
आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, सन्तान लक्ष्मी आदि देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं, जिन्हें संयुक्त रूप से अष्ट लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। समस्त प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति हेतु अष्ट लक्ष्मी आराधना की जाती है।
पञ्च दिवसीय दीवाली उत्सव के दौरान लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। लक्ष्मी पूजा, पञ्च दिवसीय उत्सव का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन है। अपने शहर के लिये, प्रदोष काल एवं वृषभ काल सहित लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त ज्ञात करने हेतु सम्पूर्ण विवरण देखें।
1. ॐ प्रकृत्यै नमः। 2. ॐ विकृत्यै नमः। 3. ॐ विद्यायै नमः। ... 107. ॐ त्रिकालज्ञानसंपन्नायै नमः। 108. ॐ भुवनेश्वर्यै नमः। आदि लक्ष्मीजी के 108 नाम अर्थ एवं वीडियो सहित इस पृष्ठ पर दिये गये हैं।
1. ॐ नित्यागतायै नमः। 2. ॐ अनन्तनित्यायै नमः। 3. ॐ नन्दिन्यै नमः। ... 999. ॐ देवतानां देवतायै नमः। 1000. ॐ उत्तमानामुत्तमायै नमः। आदि नामों से युक्त देवी लक्ष्मी की सहस्रनामावली अर्थ सहित इस पृष्ठ पर दी गयी है।
ॐ जय लक्ष्मी माता आरती शब्दों के साथ इस पृष्ठ पर दी गयी है। यह आरती अत्यन्त प्रचलित है तथा देवी लक्ष्मी से सम्बन्धित विभिन्न उत्सवों पर ॐ जय लक्ष्मी माता आरती का गायन किया जाता है।
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ लक्ष्मी माता की यह 40 छन्द की प्रार्थना, जिसे चालीसा कहा जाता है, इस पृष्ठ पर दी गयी है।
हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥1॥ यह श्री महालक्ष्मी सूक्तम् है, जिसे श्री सूक्तम् के नाम से भी जाना जाता है। इसका नियमित पाठ करने से श्री लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ जैसे दिव्य मन्त्रों से युक्त देवी महालक्ष्मी के मन्त्र की सारणी इस पृष्ठ पर दी गयी है। इस सारणी में लक्ष्मी बीज मन्त्र, महालक्ष्मी मन्त्र तथा लक्ष्मी गायत्री मन्त्र को भी सूचीबद्ध किया गया है।
दीपावली के लिये सुन्दर लक्ष्मी हृदय रँगोली कलाकृति चित्र सहित इस पृष्ठ पर दी गयी हैं। इन चित्रों की सहायता से देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता हेतु अनेक प्रकार की रँगोली बनायी जा सकती हैं।