☰
Search
Mic
हि
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

भगवान अय्यप्पा

DeepakDeepak

भगवान अय्यप्पा

भगवान अय्यप्पा

हिन्दु धर्म में भगवान अय्यप्पा को लोकप्रिय देवता के रूप में पूजा जाता है। अय्यप्पा को विकास का देवता माना जाता है तथा विशेष रूप से केरल में उनकी पूजा-अर्चना का प्रचलन अधिक है। केरल में प्राचीन काल से ही अय्यप्पा की भक्ति की जाती है, किन्तु शेष दक्षिण भारत में 20वीं शताब्दी के अन्त में अय्यप्पा की आराधना का प्रचलन बढ़ा है। अय्यप्पा ने महिषासुर दैत्य की बहन महिषी का संहार किया था। भगवान अय्यप्पा को भगवान अय्यप्पा, भगवान अय्यप्पन और स्वामी अय्यप्पा के नाम से भी जाना जाता है।

Lord Ayyappa
भगवान अय्यप्पा

भगवान अय्यप्पा भगवान शिव एवं मोहिनी के पुत्र हैं। भगवान विष्णु ने ही समुद्र मन्थन के समय मोहिनी अवतार धारण किया था। केरल की पथानामथिट्टा पहाड़ियों पर विश्व प्रसिद्ध अय्यप्पा मन्दिर अवस्थित है, जो सबरीमाला मन्दिर के नाम से लोकप्रिय है।

भगवान अय्यप्पा उत्पत्ति

भगवान अय्यप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु हैं। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार त्रिलोक में त्राहि मचाने वाले महिषासुर नामक महादैत्य का वध भगवती दुर्गा ने किया। जिसका प्रतिशोध लेने के लिये महिषासुर की बहन महिषी ने देवताओं पर पुनः आक्रमण कर स्वर्गलोक पर अधिकार जमा लिया। किन्तु वह भी अपने भाई की तरह अजेय थी व किसी भी देवी-देवता के द्वारा उसका वध सम्भव न था। ब्रह्मा जी के परामर्श अनुसार, भगवान शिव और भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न पुत्र ही उसका वध कर सकता था। तब देवताओं की प्रार्थना और त्रिलोक के कल्याणार्थ भगवान शिव और भगवान विष्णु ने लीला रची और भगवान विष्णु के स्त्री स्वरूप मोहिनी एवं भगवान शिव से सस्तव नामक पुत्र का जन्म हुआ जो दक्षिण भारत में अय्यप्पा के रूप में लोकप्रिय हुये।

भगवान शिव एवं भगवान विष्णु से उत्पन्न होने के कारण अय्यप्पा को हरिहरपुत्र कहकर सम्बोधित किया जाता है। अय्यप्पा को शिव जी ने पम्पा नदी के तट पर छोड़ दिया। कालान्तर में राजा राजशेखर ने 12 वर्षों तक उनका पालन-पोषण किया। भगवान अय्यप्पा ने अजुथा नदी के किनारे महिषी के साथ भीषण युद्ध किया और उसका वध कर देवताओं का कल्याण किया। भगवान अय्यप्पा के द्वारा वध से राक्षसिनी महिषी को शाप से मुक्ति मिली। वर्तमान में सबरीमाला मन्दिर प्राङ्गण में भगवान अय्यप्पा के मन्दिर के पास महिषी का भी मन्दिर बना हुआ है। माना जाना है कि इसी स्थान पर ही भगवान अय्यप्पा को परम दिव्यज्ञान का अनुभव हुआ था।

भगवान अय्यप्पा कुटुम्ब

भगवान अय्यप्पा अविवाहित माने जाते हैं। भगवान शिव उनके पिता तथा भगवान विष्णु मोहिनी रूप में उनकी माता हैं। अतः भगवान श्री गणेश एवं श्री कार्तिकेय, अय्यप्पा के सौतेले भ्राता हैं तथा मनसा देवी, देवी अशोकसुन्दरी और देवी ज्योति उनकी सौतेली बहनें हैं।

भगवान अय्यप्पा स्वरूप

स्वामी अय्यप्पा को एक हाथ में धनुष एवं दूसरे हाथ में बाण धारण किये दर्शाया जाता है। उनकी पीठ पर बाणों से भरा तरकश सुशोभित रहता है। भगवान अय्यप्पा से सम्बन्धित अधिकांश चित्रों में उन्हें बाघ पर आरूढ़ दर्शाया जाता है, परन्तु उनके कुछ अन्य विभिन्न रूपों में उन्हें घोड़ा, तेंदुआ तथा हाथी आदि पर भी सवार दर्शाया जाता है।

भगवान अय्यप्पा मन्त्र

स्वामीये शरणम् अय्यप्पा।

भगवान अय्यप्पा त्यौहार

भगवान अय्यप्पा मन्दिर

  • सबरीमाला मन्दिर, पथानमथिट्टा, केरल
  • भगवान अय्यप्पा मन्दिर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
  • अय्यप्पा मन्दिर, छत्तीसगढ़
  • अचनकोविल मन्दिर, कोल्लम, केरल
Kalash
कॉपीराइट नोटिस
PanditJi Logo
सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
Ⓒ www.drikpanchang.com
प्राइवेसी पॉलिसी
द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation