हिन्दु धर्म में भगवान अयप्पा को लोकप्रिय देवता के रूप में पूजा जाता है। अयप्पा को विकास का देवता माना जाता है तथा विशेष रूप से केरल में उनकी पूजा-अर्चना का प्रचलन अधिक है। केरल में प्राचीन काल से ही अयप्पा की भक्ति की जाती है, किन्तु शेष दक्षिण भारत में 20वीं शताब्दी के अन्त में अयप्पा की आराधना का प्रचलन बढ़ा है। अयप्पा ने महिषासुर दैत्य की बहन महिषी का संहार किया था। भगवान अयप्पा को भगवान अय्यप्पा, भगवान अय्यप्पन और स्वामी अयप्पा के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान अयप्पा भगवान शिव एवं मोहिनी के पुत्र हैं। भगवान विष्णु ने ही समुद्र मन्थन के समय मोहिनी अवतार धारण किया था। केरल की पथानामथिट्टा पहाड़ियों पर विश्व प्रसिद्ध अयप्पा मन्दिर अवस्थित है, जो सबरीमाला मन्दिर के नाम से लोकप्रिय है।
भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु हैं। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार त्रिलोक में त्राहि मचाने वाले महिषासुर नामक महादैत्य का वध भगवती दुर्गा ने किया। जिसका प्रतिशोध लेने के लिये महिषासुर की बहन महिषी ने देवताओं पर पुनः आक्रमण कर स्वर्गलोक पर अधिकार जमा लिया। किन्तु वह भी अपने भाई की तरह अजेय थी व किसी भी देवी-देवता के द्वारा उसका वध सम्भव न था। ब्रह्मा जी के परामर्श अनुसार, भगवान शिव और भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न पुत्र ही उसका वध कर सकता था। तब देवताओं की प्रार्थना और त्रिलोक के कल्याणार्थ भगवान शिव और भगवान विष्णु ने लीला रची और भगवान विष्णु के स्त्री स्वरूप मोहिनी एवं भगवान शिव से सस्तव नामक पुत्र का जन्म हुआ जो दक्षिण भारत में अयप्पा के रूप में लोकप्रिय हुये।
भगवान शिव एवं भगवान विष्णु से उत्पन्न होने के कारण अयप्पा को हरिहरपुत्र कहकर सम्बोधित किया जाता है। अयप्पा को शिव जी ने पम्पा नदी के तट पर छोड़ दिया। कालान्तर में राजा राजशेखर ने 12 वर्षों तक उनका पालन-पोषण किया। भगवान अयप्पा ने अजुथा नदी के किनारे महिषी के साथ भीषण युद्ध किया और उसका वध कर देवताओं का कल्याण किया। भगवान अयप्पा के द्वारा वध से राक्षसिनी महिषी को शाप से मुक्ति मिली। वर्तमान में सबरीमाला मन्दिर प्राङ्गण में भगवान अयप्पा के मन्दिर के पास महिषी का भी मन्दिर बना हुआ है। माना जाना है कि इसी स्थान पर ही भगवान अयप्पा को परम दिव्यज्ञान का अनुभव हुआ था।
भगवान अयप्पा अविवाहित माने जाते हैं। भगवान शिव उनके पिता तथा भगवान विष्णु मोहिनी रूप में उनकी माता हैं। अतः भगवान श्री गणेश एवं श्री कार्तिकेय, अयप्पा के सौतेले भ्राता हैं तथा मनसा देवी, देवी अशोकसुन्दरी और देवी ज्योति उनकी सौतेली बहनें हैं।
स्वामी अयप्पा को एक हाथ में धनुष एवं दूसरे हाथ में बाण धारण किये दर्शाया जाता है। उनकी पीठ पर बाणों से भरा तरकश सुशोभित रहता है। भगवान अयप्पा से सम्बन्धित अधिकांश चित्रों में उन्हें बाघ पर आरूढ़ दर्शाया जाता है, परन्तु उनके कुछ अन्य विभिन्न रूपों में उन्हें घोड़ा, तेंदुआ तथा हाथी आदि पर भी सवार दर्शाया जाता है।
स्वामीये शरणम् अय्यप्पा।