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श्री भवानी अष्टकम् - संस्कृत गीतिकाव्य एवं वीडियो गीत

DeepakDeepak

श्री भवान्य अष्टकम्

श्री भवान्यष्टकम्, देवी दुर्गा को समर्पित एक अत्यन्त प्रचलित स्तुति है। आठ श्लोकों से युक्त होने के कारण इसे अष्टकम् कहा जाता है। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने एवं उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु श्री भवान्यष्टकम् का पाठ किया जाता है।

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॥ श्री भवान्यष्टकम् ॥

न तातो न माता न बन्धुर्न दातान पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।

न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैवगतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥1॥

भवाब्धावपारे महादुःखभीरुःपपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः।

कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहंगतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥2॥

न जानामि दानं न च ध्यानयोगंन जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।

न जानामि पूजां न च न्यासयोगम्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥3॥

न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थंन जानामि मुक्ति लयं वा कदाचित्।

न जानामि भक्ति व्रतं वापिमातर्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥4॥

कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासःकुलाचारहीनः कदाचारलीनः।

कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहम्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥5॥

प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशंदिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित्।

न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्येगतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥6॥

विवादे विषादे प्रमादे प्रवासेजले चानले पर्वते शत्रुमध्ये।

अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहिगतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥7॥

अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तोमहाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः।

विपत्तौ प्रविष्टः प्रणष्टः सदाहंगतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥8॥

॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यकृतं भवान्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥
Kalash
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